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(५) सेबगलोग अपनी किताबे में लिखा है कि हम सूर्य की सन्सान है अर्थात् सूर्यने मगों को पैदा किया। अच्छा भाई विनों किसी के वीर्य तो मनुष्य पैदा हो ही नहीं सक्ते हैं । तो क्या आकाशमें घुमता हुआ सूर्यदेवने अपना वीर्य्यपृथ्वीपर डाला और उसमें कीडों की भाँती मगविप्र पैदा हुए या सूर्यनारायण ने किसी सती का ब्रह्मचार्य खण्डन कर मगों को उत्पन्न किया, जैसे सूर्यने सती कुंतिका सतीत्व भृष्ट कियाथा इस हालतमें मगो (सेवगों) का स्पृष्ट कर्त्तव्य है कि वे अपनी माता की खोज कर जनताकी शंका को दूर करे। नहीं तो जनता यह कहती है कि सेवग एक वर्णशंकर जाति और अनार्य देश से आये हुए अनार्य हैं। क्यों कि सेवगों के पिता तो सूर्य हैं पर माताका पता नहीं है । फिर आगे:
पत्रिका नम्बर ३ जैनियों के घरों में सेवगों के करने योग्य कार्य।
(१) लग्न समय दम्पति की सेज बिछाई की खेरात आती
है जिसमें दो भाग नाई के और एक भाग सेवगणी
का होता है। (२) बरात (जान ) बाहरगांव जाती हैं तब वापस
आते समय मार्ग में जीमण ( फियों) करते हैं वहां जानवाले लोग खेरात करते है उसमें भी दो भाग नाई और एक भाग सेवम का होता है।