________________
NRNINNINGan........GNETINGNng
सर्वत्र सुखी भवंतु लोकाः ॥
O
compenvesammes.
" सेवगों हम आपके सज्जन है।" ६ " हम आपका सदैव कल्यान चाहाते है।" ! " हमारा लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ो"
" स्वतंत्रता एक सच्चा सुख का खजाना है।" " पराधिनता एक दुःखोंकी खान है।" " तुम्हारे कारण हमको बड़ा नुकशान होता है।" " हमकों नुकशान होने परभी तुमको फायदा नहीं है" " हमारे कारण तुमकों भी बड़ा भारी नुकशान है" " निर्मौल्य-धर्मादा का देव द्रव्य खाने से तुम्हारी __ क्या दशा हुई है और भविष्यमें क्या होगा।" " तुम्हारे भाई स्वतंत्र व्यापार व हुन्नर उद्योग
कर कैसे सुखी हैं क्या तुम ऐसे नहीं कर सक्ते हो" १६ " अब मांग खाना छोडदो जैनोंको गरजहोगा तो डबल रोजगार दे कर तुमसे मन्दिर पूजावेंगा"
. " मिश्रिमल जैन" HeamDecemveevan KCAREERSE मुद्रक-शाह गुलाबचंद लल्लुभाइ, श्री महोदय प्रिन्टींग प्रेस दाणापीठ-भावनगर.
ROSHUDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDCCORDCORRUNOF
POSNORArorandu.xos