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उबबाइ ‘अरिहंत चेइयाणि, ' क्या यह पाठ बताता है ?, अंबड़ने भी प्रतिमा पूजी, यही सूत्र दिखलाता है । अपने घरकी बात न जानें, झूठा ढोंग मचाया है, ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥
७०
सतर भेदसे जिनप्रतिमाकी, पूजाका अधिकार कहा, इसी सूत्र रोयपसेणी में, प्रतिमाको 'जिनसदृश' कहा । 'निःश्रेयस' का फलभी आया, फिर भी हठ पकडाया है, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है ॥
७१
आलोयण विधि चली सूत्रमें, उसमें भी यह दर्शायाः" साधु, पास प्रभुप्रतिमाके जा, आलोयण ले " यह आया । करें अर्थ, इसका क्या वे जो, जिनने मुख बंधाया है ?, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है ||
७२
भरतरायने अष्टापद पर, मणिमय बिंब भराये हैं,
गौतमस्वामी जिनवंदनके हेतु यहाँ पर आये हैं । संप्रतिने भी सवाक्रोड जिन बिंबोंको बनवाया है,
ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है ॥
७३ महानिशियमें यही बताया, 'जो जिनबिंब भराता है,
१ पृ० २.९६ - २९७ । २ पृ० १९० ।
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