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________________ नासिक जिला। गाथारामहणू सुग्गीओ गवय गवाक्खोय णील महणीलो । णवणवदी कीडीओ तुण्गीगिरि णिव्वुदेवंदे ॥ (प्राकृत निर्वाणकांड) रामहनू सुग्रीव सुडील, गव गवाक्ष्य नील महानील । कोड निनानवे मुक्ति प्रमाण, तुण्गीगिरि वंदोधरिध्यान ॥ (निर्वाणकांड भाषा) पर्वतके नीचे दि० जैन मंदिर व धर्मशालाएं हैं । कार्तिक सुदी १५ को मेला होता है । मुनीम रहता है नासिक नगरका वर्णन आराधना कथा कोश ब्र० नेमिदत्तकृत नागदत्ताकी कथामें आया है (नं० ५१में) आभीराख्य महादेशे नाशक्य नगरेवरे । वणिक सागरदत्तो भून्नागदत्ता च तत्प्रिया ॥ जह
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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