SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (६) हरएक इतिहासप्रेमी व्यक्तिको उचित है कि इस पुस्तकको आदिसे अंततक पढ़कर इससे लाभ उठावे और हमारे परिश्रमको सफल करे । तथा जहां कहीं हमारे लेखमें अज्ञान और प्रमादके वश भूल हो गई हो वहां विद्वान पाठकगण सुधार लेवें तथा हमें भी सूचना करनेकी कृपा करें । जैन जातिके भारतीय इतिहास संकलनमें यह पुस्तक बहुत कुछ सहायता प्रदान करेगी। ___ इसका प्रकाश जैन धर्मकी प्रभावनामें सदा उत्साही सेठ माणिकचन्द पानाचन्द जौहरी (नं० ३४० जौहरी बाजार, बंबई) की आर्थिक सहायतासे हुआ है तथा प्रचारके हेतु लागत मात्र ही मूल्य रक्खा गया है। जैन धर्मका प्रेमी बम्बई, ..... ब्र. सीतलप्रसाद । ता० ७-११-१९२५.J
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy