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काठियावाड (सौराष्ट्रदेश)। ४१ (१३) काठियावाड़ राज्य (सौराष्ट्र देश)
इसमें २३४४५ वर्ग मील स्थान है।
इसके ४ भाग हैं-झालावाड़, हालार, सोराठ और गोहेलवार । कच्छ और खभातकी खाड़ीके मध्य देशको काठियावाड़ कहते हैं।
इतिहास-यहां मौर्या, यूनानी, तथा क्षत्रपोंने क्रमसे राज्य किया है । पीछे कन्नौजके गुप्तोंने राज्य किया जिन्होंने अपने सेनापति नियत किये । अन्तके सेनापति स्वयं सौराष्ट्रके राजा हो गए जिन्होंने अपने गवर्नर वल्लभीनगरमें रक्खे । यह वल्लभी वर्तमानमें दबा हुआ नगर बाला है जो भावनगरसे उत्तर पश्चिम १८ मील है । जब गुप्तोंका प्रभाव गिरा तब वल्लभीके राजाओंने जिनके वंशको गुप्तोंके सेनापति भट्टारकने स्थापित किया था अपना अधिकार कच्छ तक बढ़ा लिया और मेर लोगोंको हरा दिया जिन्होंने काठियावाड़पर सन् ४७० से ५२० तक अधिकार जमा लिया था।
रामा ध्रुवसेन द्वि० के राज्य (सन् ६३२ से ६४०)में चीनी यात्री हुइनसांगने वलपी (वल्लभी) और सुलचा (सौराष्ट्र )की मुलाकात की थी-७४६ से १२९८ तक राज्यस्थान अणहिलवाडा हो गया। इस मध्यमें कई राज्य उठे और जेठवा लोग सौराष्ट्र के पश्चिममें एक बलवान जाति हो गए । अनहिलवाड़ा १२९८में ले लिया गया । तव झाला लोग उत्तर काठियावाडमें बस गए ।
प्राचीन स्मारक-प्रसिद्ध अशोकके शिलालेखके सिवाय जूनागढ़में बौद्धोंकी पहाड़में खुदी गुफाएं व मंदिर हैं निनका