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________________ १८ ] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । गोदरा - पंचमहालका मुख्य नगर रेलवे जंकशन है । बड़ौधा और दाहोद बीचमें है । यहां शेरा भागोलके रास्तेके ऊपर घेलीमाता नाम से प्रसिद्ध देवी है । मंदिर के पास पीपलका वृक्ष है । I जिसको घेलीमाता मानते हैं यह श्री पार्श्वनाथ भगवानकी कात्योसर्ग नग्न मूर्ति है अखण्डित है । सर्पके फण भी है । प्रतिमा बहुत ही सुन्दर ब तेजस्वी है । तीन प्रतिमा पीपल वृक्षके नीचे पड़ी हैं वे भी कायोत्सर्ग जिन प्रतिमा हैं। यहांसे कुछ पाषाण रेलवेके उस तरफ सिदुरीमाताके देवलके वहां गए हैं वहां भी भूमिपर नव जैन प्रतिमा बिराजित हैं । घेलीमाताके पीछे प्राचीन सरोवर है । उसकी सीढ़ियोंमें जिन मंदिरके पत्थर लगे हैं । इस सरोवर के पास जूनी जुम्मा मसजिद है । यह मसजिद वास्तवमें जैन मंदिर तोड़कर बनाई गई है इसमें संदेह नहीं । यह बहुत पुरानी मसजिद है । ( लेखक गोकुलदास नानजीभाई गांधी वीरशासन अहमदावाद ता० १०-१०-१९२४ । ) .
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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