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गुजरातका इतिहास।
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(४) समुद्रगुप्त बड़ा , ५०-७५ ३७०-३९५ (५) चन्द्रगुप्त द्वितीय , ७६-९६ ३९६-४१५
यह बड़ा राजा था । इसने मालवाको गुप्त सं० ८० व गुजरातको गुप्त सं० ९० व सन् ई० ४ १ ०में विजय किया था।
(६) कुमारगुप्त-गुजरात व काठियावाड़में राज्य किया था । गुप्त सं० ९१-१३३ । ई० स० ४ १६-४५३
(७) स्कंधगुप्त-गुजरात व कच्छ में राज्य किया था । गुप्त सं० १३३-१४९। ई० स० ४६४-४७० . इसने बहुत दिनोंसे विस्मृत अश्वमेध यज्ञको किया था । चंद्रगुप्त हि०, कुमारगुप्त व स्कंध० ब्राह्मणधर्म धारी थे। चंद्रगुप्त प्रथमने तिरहुतकी लिच्छवीवंशकी कन्याके साथ विवाह किया था । समुद्रगुप्तने अपनी माताका नाम कुमारदेवी सिक्कोंमें लिखा है (देखो स्कंधगुप्त जूनागढ़ लेख Ind. Ant. XIV)
समुद्रगुप्तकी प्रशंसा अलाहाबादके खबके लेखमें है (देखो J. R. A. S. XXI) लाइन सातमें है कि इसने अच्युत नागसेनकी सेनाका विध्वंश किया । ला० १९-२०में है कि इसने नीचे लिखे प्रांतोंके राजाओं पर विजय पाई (१)कोशलका मनेन्द्र, (२) महाकांतार (रायपुर और छत्तीसगढ़के मध्य) का व्याघ्रराज, (३) कौंराहा (केरल) का मुंडराज, (४) पैष्ठपुर, महेन्द्रगिरी औटूरका राजा स्वामीदत्त, (५) ऐरंग पल्लकका दमन, (६) कांचीका राजा विष्णु, (७) सायाव मुक्तका राजा नीलराज, (८) वेंगीका हस्तिवर्मन, (९) पालकका उग्रसेन (१०) दैवराष्ट्रका कुवेर, (११) कौस्थलपुरका धनंजय ।