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गुजरातका इतिहास।
[ १७३ बोधान, वारंगल आदि स्थानोंके स्मारकोंसे प्रगट है कि इन भागोंके शासक राजागण सातवींसे दशवीं शताब्दी तकके जैनधर्मसे प्रेम करते थे और यह धर्म बहुत उन्नतिपर था। पीछे शिव तथा विष्णु भक्तोंने जैन मंदिरोंको नष्ट किया । वही दशा पाटनचेरूके मंदिरोंकी हुई है।
(हैदराबाद १९१५-१६).
गुजरातका इतिहास । बम्बई गजेटियर जिल्द १ भागमें गुजरातका इतिहास सन् १८९६में छपा था। उसमेंसे लिखा गया।
पं० भगवानलाल इंद्रनीने प्राचीन गुजरातका इतिहास सन् ई० ३१९ पहलेसे १३०४ तक तय्यार किया था जिसको जैकसन साहबने पूर्ण किया था ।
गुजरातकी चौहद्दी है-पश्चिममें अरब समुद्र, उत्तर पश्चिम कच्छ खाडी, उत्तर-मेवाड, उत्तरपूर्व-आबू, पूर्व-विन्ध्याका वन, दक्षिणमें तापती नदी । इसके दो भाग हैं-गुर्जरराष्ट्र और सौराष्ट्र या काठियावाड ।
गुर्जरराष्ट्रमें ४५००० वर्गमील व सौराष्ट्रमें २७००० वर्गमील स्थान है।
यहां सन् ३०० ई० पहलेसे १०० ई० तक समुद्रद्वारा यूनानी, वैकटीरियावाले, पार्थियन और स्कैथियन आते रहे । सन् ६००से ८०० तक पारसी और अरब आए । सन् ९०० से १२०० तक संगानम् लुटेरे, सन् १५०० से १६०० तक पुर्त