________________
हैदराबाद जिला। इन्द्र और अम्बिका ( इन्द्राणी ) है और सामने सिंहासनपर पद्मासन चमरेन्द्र सहित तीर्थंकर बिराजमान हैं । इस मंदिरमें श्री गोमटस्वामीकी मूर्ति खास गुफा और इस मंदिरके मध्य सामने कोरी हुई है।
इन दोनोंकी बाई तरफ और करीब २ इतना ऊँचा-जितने ये दोनों हैं-एक कमरा करीब ३० फुट चौड़ा व २५ फुट गहरा है । सामने एक भीत है जिसके ऊपर द्वारके हरतरफ एक खंभा है । भीतके ऊपरी भागपर बहुतसे कमलादि कोरे हुए हैं तथा हाथी बने हुए हैं जिनका मुख पुष्पोंपर है। भीतर चार खंभे हैं जिनकी जड़ चौकोर है, ऊपर गुम्बज हैं । सामनेके खभोंपर बहुत चित्रकारी है । पश्चिमकी तरफ बीचके कमरेमें श्री पार्श्वनाथ बिराजमान हैं। फणके छत्र सहित व चमरेन्द्र सहित है । पगमें दो नागनियां हैं
और दो सुन्दर वस्त्र सहित पुजारी हैं । जबकि उनके चारों ओर देवतागण ध्यानमें उपसर्ग कर रहे हैं । ( नोट-यह कमठके जीव द्वारा उपसर्गका चित्र है)।
पासवाले दूसरे कमरेमें पहलेकी भांति रचना छोटे मापमें है तथा एक पद्मासन तीर्थकर विराजमान है। पूर्वकी भीतकी तरफ मध्य कमरेमें श्री गोमटस्वामी हैं जिनके चरणोंपर हिरण और कुत्ते
और कुछ स्त्रियां बैठी हुई हैं । इनके ऊपर गंधर्व आदि देव हैं जो वाजा, फूलादि लिये हुए हैं। इसके दाहनी तरफ कमरेमें एक छोटी मूर्ति श्री पार्श्वनाथजीकी है । वाई तरफ एक खड़ी मूर्ति है, जो आधी तड़क गई है, जिनके पास मृग, मकर, हस्ती, शूकर आदिके चिन्ह हैं।