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________________ मीरज राज्य। [ १५७ (२९) मीरज राज्य । यहां मुख्य स्थान हैं। (१) मुढौल-कलादगीसे पूर्व उत्तर १६ मील । दो प्राचीन मंदिर जैनियोंके ढंगके हैं । अब शिव स्थापित हैं। (२) पंदगांव-बेलगावसे कलादगीकी सड़कपर ग्रामके पश्चिम ४-५ मील । सड़कके किनारे एक छोटा जैन मंदिर है। (३०) सांगली स्टेट । यहां मुख्य स्थान हैं। (१) तेरदाल-यहां बड़े महत्वका एक जैन मंदिर श्री नेमिनाथ भगवानका है जो ११८७में बना था। (३१) गोआ (पुतगाल) इसकी चौहद्दी यह है । उत्तरमें सावंतवाड़ी स्टेट, पूर्वमें पश्चिमीय घाट, वेलगाम, उत्तर कनड़ा, दक्षिण उत्तर कनड़ा, पूर्व में अरब समुद्र यहां १४७० वर्ग मील स्थान है । इसका प्राचीन नाम गोमनचल है। यहांके कुछ शिलालेख यह बताते हैं कि गोआमें वनवासीके कादम्बोंका राज्य था जिनका प्रथम राजा श्री त्रिलोचन कादंब सन् ई० ११९ व १२० के करीब हुआ है । इस वंशने ( सं० नोट-यह जैन वंश था ) यहां मुस० के आने तक सन १३१२ तक राज्य किया।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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