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कोल्हापुर जिला।
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मोंके पावन्द व आज्ञानुवर्ती हैं वे बहुत कम अदालतोंमें आते हैं। यहांके जैन जमीदार अपनी स्त्रियोंके साथ खेतका काम करते हैं।
जैन मूर्तियें-कोल्हापुर शहर और आसपास बहुतसी खंडित जैन मूर्तियां मिलती हैं। मुसलमानोंने १३वीं व १४वीं शताब्दीमें जैन मंदिर तोड़ डाले थे । जब जैनलोग ब्रह्मपुरी पर्वतपर अंबाबाईका मंदिर बनवा रहे थे तब राजा जयसिंहने किला वनवाया था । यह राजा अपनी सभा कोल्हापुरसे पश्चिम ९ मील बीडपर किया करता था।
__ १२वीं शताब्दीमें कोल्हापुरमें कलचूरियोंके साथ-जिन्होंने कल्याणके चालुक्योंको जीत लिया था और दक्षिणके स्वामी हो गए थे-चालुक्योंके आधीनस्थ कोल्हापुरके शिलाहारोंका युद्ध हुआ था। तब भोज राजा हि० (११७८-१२०९) शिलाहार राजाने कोल्हापुरको राज्यधानी बनाई और बहमनी राजाओंके आनेतक राज्य किया। यहां कुल २५० मंदिर हैं उनमें अंबाबाईका मंदिर सबसे बड़ा और सबसे महत्वका और सबसे पुराना शहरके मध्यमें है । यह काले पाषाणका दो खना है । जैनलोग कहते हैं कि यह मंदिर पद्मावती देवीके लिये बनवाया गया था। इस इमारतकी कारीगरी प्रमाणित करती है कि जैनलोग इसके मूल अधिकारी हैं (Jains to be orijinal possessors) जैसे हर एक ब्राह्मण मंदिरमें गणपतिकी मूर्ति होती है सो यहां नहीं है। भीत और गुंबजों पर बहुतसी पद्मासन जैन मूर्तियां हैं जो बहुतसी नग्न हैं । इससे यह जैन मंदिर था ऐसा प्रमाणित होता है । इसमें ४ शिलालेख शाका ११४० और ११५८ के हैं ।