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________________ - उत्तर कनड़ा जिला। [ १३३ ४० फुट है । तथा भीतर मंदिरकी चौडाई ५० फुट है । ध्वजा दंड-एक बहुत सुन्दर स्तंभ है जो १४ वर्ग फुट चबूतरेपर खडा है । इसका स्तंभ एक पाषाणका २१ फुट ऊंचा है ऊपर चौकोर गुंबज है। वस्तीसे पीछे एक छोटा स्तंभ है जिसको यक्ष ब्रह्म खंभा कहते हैं । इसका खंभा १९ फुट लम्बा है । यह एक चबूतरेपर हैं जिसके ऊपर चार कोनेमें चार छोटे खंभे हैं उनपर आले हैं । जत्तपा नायकने इस मंदिरकी रक्षाके लिये बहुतसी जमीनें दी थीं परन्तु उनको टीपू सुलतानने लेलिया । यह मंदिर भटकलमें सबसे सुन्दर पुराना मंदिर है तथा इसकी रक्षा अच्छी तरह करनी चाहिये । ग्रामवाले अपनी मरज़ीसे यहांके सुन्दर पाषाणोंको उठा ले जाते हैं। ____ (२) श्री पार्श्वनाथ बस्ती-५८ फुट लम्बी व १८ फुट चौडी है । शिलालेखके अनुसार यह शाका १४६५ में बना था। ध्वना स्तंभ-एक ऊंचे टीले पर सुन्दर स्तंभ है । ऊपर एक छोटा मंडप है जिसमें चौतरफ मूर्तियां हैं । (३) शांतेश्वर बस्ती-यह करीब२ चंद्रेश्वर बस्तीके समान है। तथा थेतवाल नारायण देवस्थान जो सुन्दर कारीगरीके साथ काले पाषाणका बना है तथा शांतप्पा नायक तिरुमल देवस्थान और रघुनाथ देवस्थान भी देखने योग्य है । . यहां बहुतसे शिलालेख हैं जैसे (१) चन्द्रनाभ बस्तीमें ७० लाइनका, (२) वहीं ७९ लाइनका, इसके पीछे ६३ लाइनका, ता० १४७९ नल संवत्सर, (३) इसीके आंगनके दक्षिण पूर्वकोने में जिसमें जैन चिन्ह हैं, (४) पार्श्वनाथ बस्तीमें शाका १४६८
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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