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________________ धाड़वाड़ जिला। [ १२७ कुन्दूर (१००), पुरीगेरी या लक्ष्मेश्वर ३०० तथा कुन्दरगी (७०) का आधिपत्य था। . (२८) आरटाल-तहसील बंकापुर-हुबलीसे २४ मील । यहां जंगलमें एक प्राचीन पाषाणका मंदिर श्री पार्श्वनाथ स्वामीका है । मूर्ति बड़ी कायोत्सर्ग है । प्राचीन कनड़ीमें शिला लेख है । शाका १०४५में मंदिर बना सत्याश्रय कुल तिलक चालुक्य राजम् भुवनैकमलविजय राज्ये । (दि. जैन डाइरेक्टरी, नकल लेख भी दी है) __(२९) सुन्दी-ता० रोन यहां जैन मंदिरके सम्बन्धमें एक शिलालेख है जो ( Fleet's Canarese Dynasty ). में दिया है। उसका सार यह है कि इस लेखमें पश्चिमीय गंगवंशी राजकुमार बुटुगका वर्णन है । जिसने आतकूर-के शिलालेखके अनुसार चोल राजा दित्त्यको उस युद्ध में मारा था जो दित्त्यसे और राष्ट्रकूट राजा कृष्ण हि० से करीब सन् ९४९ में हुआ था । इस लेख में भूमिदान उस जैन मंदिरको है निसको उसकी स्त्री दिवलम्बाने सुन्दीके स्थापित किया था। यह राना बुटुग ९६००० ग्रामोंके गंग मन्डलपर राज्य करता था । पुरिकरमें राज्यधानी थी। शाका ८६० कार्तिक सुदी(को इसने जो कि श्रीमान् नागदेव पंडितका शिष्य था ६० निवर्तन भूमि अपनी स्त्री दिवलम्बाके बनाए हुए चैत्यालयके लिये दी । इस स्त्रीने छः आर्यिकाओंका समाधिमरण कराया था तथा इस प्रसिद्ध जैन मंदिरको बनवाया था। यह लेख संस्कृतमें है । वंशावली नीचे प्रकार है वंशक्ष पश्चिम गंगराजा।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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