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________________ १९३] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । (२३) धाड़वाड़ जिला। इसकी चौहद्दी इस प्रकार है । उत्तरमें बेलगाम, बीजापुर । पश्चिममें निजाम और तुंगभद्रा नदी जो मदराससे जुदा करती है। दक्षिणमें मैसूर, पश्चिममें उत्तर कनड़ा । यहां ४६०२ वर्ग मील स्थान है। इसका इतिहास यह है । ताम्रपत्रोंसे यह बात प्रगट होती है कि सन् ई० के एक शताब्दी पहले धाड़वाड़के भागोंमें उत्तर कनड़ाके वनवासीके राजा लोग राज्य करते थे। वनवासीके अन्ध भृत्योंके पीछे गंग या पल्लव वंशके राजाओंने राज्य किया था, उन्होंने पूर्वीय कदम्बोंको स्थान दिया । कदम्ब एक जैन वंश था जिसने वनवासीमें छठी शताब्दी तक राज्य किया फिर पूर्वीय चालुक्यों और पश्चिमीय चालुक्योंने ७६० तक, राष्ट्रकूटोंने ९७३ तक फिर पश्चिमीय चालुक्योंने ११६५ तक फिर कलचूरी वंशने ११८४ तक फिर होयसोलियोंने १२०३ तक फिर देवगिरि यादवोंने १२९५ तक। इसके मध्यमें आधीन रहकर कादम्बोंने भी राज्य किया जिनके राज्य स्थान वनवासी और हांगलमें थे। फिर मुसलमानोंने अधिकार किया। कहते हैं कि हांगलमें पांडवोंने निवास किया था। धाड़वाड़ गजेटियरसे यह मालूम हुआ कि कादम्ब जैन राजाओंका वंश था । जिनकी राज्यधानी वनवासी थी जो उत्तर मैसूरमें हरिहरके पास उछंगी पर है, तथा बेलगाममें हालसो पर व धाड़वाड़में त्रिपर्वत या त्रिगिरि पर थी। उनके ताम्रपत्र जो करजगीसे पश्चिम ६ मील देवगिरि पर पाए गए हैं नौ राजाओंके नाम
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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