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वीजापुर जिला।
[ १०५ थमने छट्ठी शताब्दीके प्रारंभमें इसको अपनी राजधानी किया था । यह जैन गुफा करीब ६५० ही में खोदी गई होगी। वरामदा ३१ फुटसे ६॥ फुट है गहराई १६ फुट है । पीछेका कमरा ६ फुट और २५॥ फुट है। यहांसे आगे ४ सीढी चढ़कर सिंहासनपर श्री महावीरस्वामी पल्यंकासन विराजित हैं। वरामदेके कोनोंमें दोनों तरफ ७॥ फुट ऊंचे श्री गोमटस्वामी और श्री पार्श्वनाथ की मूर्तिये शोभित हैं। स्तंभों और भीतों पर बहुतसी तीर्थकरोंकी मूर्तियां हैं। ___ नोट-यहां पूजन पाठ नही होती है। यहां इंडी निवासी श्री आदप्पा अनन्तप्पा उपाध्याय जैन सकुटुम्ब रहते हैं जो अस्पतालमें कम्पाउंडर हैं । इनके घरमें मूर्ति भी है।
(३) वागलकोट नगर घटप्रभा नदी पर । यहां १ दि० जैन मंदिर है, जैनीलोग भी हैं। यहां १ जैन बाजार है जिसको जैनियोंने नवाब सावनूर (१६६४-१६७५) के राज्यमें बनवाया था ।
(४) हुनगुंड ग्राम-बागलकोटसे २९ मील । यह बीजापुरसे दक्षिण पूर्व ६० मील है । नगरके सामने जो पहाडी है उसपर १ जैन मदिरके अवशेष हैं निसको मेघुती मंदिर कहते हैं। मंदिरके स्तम्भ चौकोर हैं और बहुत मोटे हैं । एक खंभेमें बहुत अच्छी खुदाई है। पुराने सब डिविजनल आफिसके पास उसके उत्तरमें एक जीर्ण जैन गुफा है । यहांकी मूर्ति नहीं रहीं। नगरमें पर्वतके नीचे जो रामलिंगदेवका मंदिर है उसमें जैन मदिरोंके सोलह स्तम्भ चौकोर बढ़िया हैं। इस मंदिरके पास एक घरके आंगनमें एक छोटा मंदिर है जिसमें पुराने चौकोर खंभे जन मन्दिरोंके हैं ।