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वीजापुर जिला ।
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अरसीबीडी - तालुका हुनगंडमें एक ध्वंश नगर - हुंनगडसे दक्षिण १६ मील । यहां प्राचीन चालुक्य राज्यधानी थी जिसका नाम विक्रमपुर था जिसको महान विक्रमादित्य चतुर्थने (१०७६११२६) में स्थापित किया था। उसके समय में पश्चिम चालुक्य ९७३ - १९९०) बहुत उन्नतिपर थे । कलचूरियोंने ११५१ में लेलिया तब भी यह एक महत्वका स्थान था। यहां दो ध्वरा जैन मंदिर हैं, दो बड़े चालुक्य और कलचूरी वंशके शिलालेख पुरानी कनडीमें हैं ।
(२) बादामी - ता० वादामी, एस०एम० रेलवेपर ष्टेशन । यह स्थान इस लिये प्रसिद्ध है कि यहां एक जैन गुफा सन ई० ६५० की है व तीन ब्राह्मण गुफाएं हैं। जिनमें एक में शिलालेख सन् ई० ५७९ का है । जैन गुफा ३१ फुट लम्बी व १९ फुट चौडी है । ता० १ जून १९२३ को हमने वादामीकी यात्रा की थी । गुफाके नीचे एक बडा रमणीक सरोवर है । यह जैन गुफा बहुत ही सुन्दर व अनेक अखंडित दि० जैन मूर्तियोंसे शोभित है । यह गुफा ५ दरकी है - इसके ४ स्तम्भ हैं । जो चौकोर हैंस्तम्भोंपर फूलपत्ती व गृहस्थ स्त्री पुरुष बने हैं । गुफाके बाहर पूर्व मुख १ प्रतिमा श्री महाबीर स्वामीकी पल्यंकासन है १ हाथ उंची। एक तरफ यक्ष है, दो चमरेन्द्र हैं, तीन छत्र हैं । सामने भीतपर सिंह व हरएक कोने के ऊपर व स्तंभपर सिंह है । वास्तवमें यह गुफा श्री महावीर स्वामीकी भक्तिमें अपनी वीतरागताको झलका रही है । भीतर जाकर बाहरी दालान में पूर्वमुख भीतपर श्री पार्श्वनाथ कायोत्सर्ग ५ हाथ ऊंचे फणसहित, १ चमरेन्द्र खड़े, १ बैठे