________________
प्राचीन जैन इतिहास संग्रह
ફૂટ
(२६ ) उज्जैन नगरी का महाराजा नभसेन जैन राजा
बलमित्र भानूमित्र राजा ने उज्जैन में ८ वर्ष राज किया उनके बाद वहां का शासन महाराजा नभसेन ने किया इनका समय वीर निर्वण चतुर्थी शताब्दि है ।
" महान संम्प्रति” (३०) धारावास नगर का राजावोरसिंह - जैनराजा महाराजा वोरसिंह जैनधर्मोपासक एक वीर राजा था । श्रापके कालक नामक पुत्र और सरस्वती नाम पुत्री थी उन्होंने आचार्य गुणकारसूरि के पास परम वैराग से जैन दीक्षा ली थी । कालक मुनि सूरि पद के योग्य सर्व गुण सम्पन्न होने पर गुणकार सूरि ने आचार्य पदवी देकर उसको कालकाचार्य बनाया । कालका चार्य जैसे क्षत्रीवंश में वीर थे वैसे ही धर्मवीर भी थे आप अपने सद्गुणों से सर्वत्र प्रसिद्ध भी थे।
साध्वी सरस्वती महान् रूपवती होने के कारण उज्जैन का राजा गर्दभिल्ल ने बदनीति और बलजबरी से उसे अन्तेवर गृह में रखली । यह बात कालकाचार्य को खबर होने पर उनको बड़ा भारी दुःख हुआ। वे राजा के पास जा कर बहुत समझाया. पर कामान्ध राजा ने एक भी नहीं मानी। दूसरा उपाय न होने से कालकाचार्य ने इरान के ९६ मंडलीक राजाओं को बुलवाये और उज्जैन का भंग करवा के राजा गर्द भिल्ल को उनके पाप की पूरी सजा दीलाई अर्थात् भिल्ल को पद भ्रष्ट करवी के साध्वी सरस्वती को मुक्त करवा के पुनः दीक्षा दी इस प्रकार