________________
जैन राजाओं का इतिहास (६) पाटलीपुर के नौनन्द राजा भी जैन थे।
जिन्हों का इतिहास पहिले भाग में लिखा गया है। (१८) पाटलीपुर के मौर्य मुगटमणि सम्राट चन्द्रगुप्त बिन्दुसार अशोक और सम्राट् सम्प्रति
यह सब जैन-धर्मापासक ही नहीं पर जैन-धर्म के कट्टर प्रचारक थे। जिन्होंने चीन, जापान, श्रावस्थान, तुर्कीस्तान, यूनान, मिश्र, मांगलिया और अमेरिका तक जैन-धर्म का प्रचार किया था। आज वहां जैन-धर्म का अस्तित्व नहीं है तथापि वहां जैनधर्म के ध्वंस विशेष खंडहर प्रचूरता से पाये जाते हैं। 'पाश्चात्य विद्वानों की शोध एवं खोज ने यह साबित कर दिया है कि किसी समय यहां जैनों की प्रबल्यता थी जिसका इतिहास हम पहिले भाग में लिख आए हैं। . (२२) कलिङ्ग पति महा मेघवानचक्रवर्ती ...
महाराजा खारवेल-जैन राजा . इनके पूर्वज महाराजा शोभनराय से खारवेल तक जितने राजे हुए वे सब जैन धर्म के परम उपासक थे। खारवेल का इतिहास हम स्वतंत्र आगे के भाग में लिखेंगे। (२३) विजयापुर पट्टन का राजा विजयसेन
- जैन राजा राजा विजयसेन महाराजा उत्पलदेव के खानदान में हुआ है इसने विजय पट्टन बसा के वहां का शासन किया। प्राचार्य