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चीन जैन इतिहास संग्रह
(द्वितीय भाग)
। उन पूर्वजों की कीर्ति का वर्णन अतीव अपार है, गाते हमी गुण हैं न उनके गा रहे संसार हैं। वे धर्म पर करते निछावर तृण-समान शरीर थे, उनसे वही गम्भीर थे, वर वीर थे, ध्रव धीर थे।
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-ज्ञानसुन्दर