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से और कैसे यह प्रसिद्ध एवं प्रभावशाली धर्म बंगालदेश से दंड नहीं मिला । वे वास्तव में शांत और नियम से चलने वाले हैं । अपने श्राप
और पड़ोसियों के साथ शांति से रहते हैं। ये लोग बहुत प्रतिष्ठित तथा बुद्धिमान मालूम होते हैं (कर्नल डैलटन)
___ इन के प्राचीन कारीगरी के बहुत से चिन्ह अवशेष हैं जो इस देश में सब से प्राचीन हैं। ऐसा यहां के सब लोग कहते हैं कि ये चिन्ह वास्तव में उन लोगों के हैं जिस जाति के लोगों को "सराक-सरावक" कहते हैं। जो शायद भारत के इस भाग में सब से पहले बसने वाले है।
(A.S.B. 1868 N. 35) अनेकों जैन मन्दिर और जैन तीर्थंकरों.गणधरों श्रमणों श्रावकश्राविकाओं की मूर्तियां आज भी इस प्रदेश में सर्वत्र इधर उधर बिखरी पड़ी हैं । जो कि सराक लोगों के द्वारा निर्मित तथा प्रतिष्ठित कराई गयी थीं।
“They are represented as having great scruples against taking life. They must not eat till they have seen the sun and they venerate Parashvanath. (A.S.B. 1868 N. 35)
"The jain images are a clear proof of the existence of the jain Religion in these parts in old times. (A.S.B. 1868)
सिंहभूम में तांबे की खाने व मकान हैं। जिन का काम प्राचीन लोग करते थे। ये लोग श्रावक थे । पहाड़ियों के ऊपर घाटी में व बस्ती में बहुत प्राचीन चिन्ह हैं । यह देश श्रावकों के हाथ में था । "मेजर टिकल" ने 1840 A.D. में लिखा है “कि सिंहभूम श्रावकों के हाथ में था जो अब करीब-करीब नहीं रहे । परन्तु तब वे बहुत अधिक थे उनका असली देश सिखरभूमि (सम्मेतशिखर पर्वत के आस पास की भूमि) और पांचेत कहा जाता है (जर्नल एसि० 1840 सं० 696)