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________________ ( ४२ ) थी जिस का लेख ध्वजादण्ड की पटरी पर मौजूद है, और उस समय कुंवर सुलतानचंदजी मेवाड के प्रधान थे वगैराह । - द्रख्वास्त उजरदारी पेश होने पर श्रीमान् महाराणासाहबने इस की पूरे तौर जांच कराई व तेहकिकात के लिये एक कमीशन नियत किया जिस में सरकारी मेम्बर इस मुवाफिक मुकर्रर हुवे। श्रीमान् रायबहादुर पण्डित धर्मनारायनजी साहब . बी. ए. बार-एट-लॉ.. श्रीमान् बाबू मदनमोहनलालजी साहब बी. ए. एलएल. बी. श्रीमान् पण्डित भोलादत्तजी शास्त्री एम. ए. एलएल. डी. श्रीमान् पण्डित अश्वनीकुमारजी साहब बी. ए. एलएल. बी. ___इन चार साहबान को नियत किये जो दोनो सम्प्रदाथ को समानभाव से देखनेवाले हैं। आपने पूरे तौर जांच की तो पाया गया के अव्वल तो उस समय कुंवर सुलतानचंदजी दीवानपद पर नियत नहीं थे ओर न कभी बाद में यह पद इन को सौंपा गया (प्रथम प्रासे मक्षिका )। दोयम ध्वजादण्ड सम्वत् १८८५ में नही किन्तु सम्वत् १८८६ में चढाना पाया जाता है और सोयम श्वेताम्बर आचार्योद्वारा प्रतिष्ठा होकर श्वेताम्बर विधिविधान से चढाया गया है जिस का लेख ध्वजादंड की पटरी पर मौजूद है । इस प्रकार पूरे तौर जाँच होने बाद रिपोर्ट होने पर भी हमारे दिगम्बर भाई हठवाद को नहीं छोडते जिस का अफसोस है। दिगम्बर बन्धुओं की भोर से इस विषय में एक अरजी श्रीमान् महाराणा साहब के नाम
SR No.007283
Book TitleKesariyaji Tirth Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherSadgun Prasarak Mitra Mandal
Publication Year1934
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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