________________
( ३९ )
काम पूरा कराया जिस के लेख की नकल मन्दिर प्रकरण में लिख चुके हैं। इन्ही सेठजीने सम्वत् १८८९ में ध्वजादण्ड चढाया है, जिस का प्रमाण याने ध्वजादण्ड की पटडी जो
जिस की
समझ में
तरह से
उस पर लिखा है
अद्यापि भण्डार में मौजूद है । नकल यहां दी जाती है सो पढने से पाठकों के आ जायगा कि श्वेताम्बर समाज के प्रमाण कितनी मजबूत और मानने योग्य है ।
ध्वजादंड की पाटी के लेखकी नकल .
श्री ईष्टदेवाय सुभ संवत् १८८६ रा. शाके १६५४ प्रत्रर्तमाने मीगशर मासे शुक्लपक्षे दशम्यां रविवासरे पडकदेसे श्रीधुलेवनगरे श्रीदेवाधिदेव श्रीरीखबदेव महाराजरे दंड चढाव्यो महाराजाधीराज महाराजाजी श्री श्रीयुवानसिंघजी राज्यै जेसलमेरु वास्तव्य ओसवालज्ञातिय वृद्धिशाखायां बाफणा गोत्रे शेठ बहादूरमल, सिवाइसिं, मगनीराम, जोरावरमल, प्रतापसिंघ, कुंवर सुलतानचंद, सपरिवारेण करापितं, प्रतिष्ठितं सर्व सूरिभीः ऋदहाश उपदेशात् भंडारी श्रीदलसंदजी भाइचन्दजी श्रीरस्तु । भद्रं भूयात् ।
इस लेख से स्पष्ट सिद्ध होता है कि धुलेव के श्रीकेसरियानाथजी तीर्थ में जो ध्वजादण्ड चढाया गया वह सेठ सुलतानचन्दजीने श्वेताम्बराचार्यद्वारा विधिविधान करा के चढाया है । कितने विरोध करनेवाले कहते हैं कि सुलतान