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समर्पण. (
पूज्यपाद योगिराज महात्मा श्री १०८ श्री शांतिविजयजी साहिबकी सेवायाम्
मु० माउंट आबू, योगनिष्ठ प्रभाविक सन्तचरणमें वन्दना पुरःसरः निवेदन हो कि आप शासनशोभा व जीवरक्षा और तीर्थोन्नति के कार्यों में दत्तचित्त रहते हैं। और योगमहिमा के कारण आप की ओर जनता का पूज्यभाव अतुल व प्रशंसनीय है एतदर्थ गुणमाला से आकर्षित होकर यह श्री केसरियानाथजी' तीर्थ के इतिहास की पुस्तक आप को अर्पण कर आनन्द मानते हैं । भाशा है आप इस भेट को स्वीकार कर कृतार्थ करेंगे ।
आप के सेवकश्रीसद्गुण प्रसारक मित्रमंडल के कार्यवाहक.