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________________ पर्दे की प्रथा २७१-७२ पर्यासन ४१९ पर्यूषण (जोस ) पर्व २३, ३४३, ५२५ पर्यूषण के अन्य नाम ३६३ नोट यूषण आदि पर्व ३६३ पर्व ३५९ पर्व और उत्सव ३६१-६२ शब्दानुक्रमणिका पर्वणी ३५९ पर्वत (छह ) ४५६ पर्वत देवता ४३४ पर्वत पूजा ३६१ नोट पर्वतक ( राजा ) ५२२ पर्वतमह ३६१ पलियंक ३९२ पल्लंक ( पल्यंक = पलंग ) २५६, ३३७ पल्लकोट्ठ (मिट्टी अथवा बाँस का पशुओं का घास चारा १३३ पशुओं की चिकित्सा १३४ पशुओं की चोरी १३३ पशुओं के चमड़े आदि का उपयोग १३४ पशुहिंसा ७ नोट पश्चात संखडि ३६५ पहाड़ियां (पांच) ४६१ पहेणग १९६, ३६४ पह्नव (अनार्य देश ) १६१, ५०५ पांचजन्य (शंख) ५०३ पांच दिव्य पदार्थ ४८ पांच भावना ९ पांच महाव्रत ८ पांच श्रमण १६, ३८१-४२१ कोठा) १२२ पल्लग ( कोठार ) १२३ पवणबलसमाहय ( पवन का जोर ) १८५ पाटलिपुत्र २३, २४, २९, ३० नोट, ४९, पवित्तिय ( अंगूठी ) ४१६ ४१८ पव्व (पोरी ) १२५ पवडिय ३६७ पशुपालन १३१ पशुपालन और दुग्धशाला १३१-४ पांच श्रुतकेवली २० पांचाल ( पाञ्चाल ) ९३ नोट, २६२, २८३, ४७०, ४७१, ४९४ पांचाल (दो) ४७० ५८७ पांचालवासी ( कामशास्त्र में निष्णात ) २६९ नोट, ४६० पांचाली (द्रौपदी) २६९, ४७० पांडुमथुरा ( दक्षिण मथुरा = मदुरा ) १७३, १७४. १८५, ५०२, ५०४, ५०५ पांडुरंग (साधु) १७३, ३५४, ४२६ नोट पांडुसेन ( पाण्डुसेन ) १८५ पांडव (पाण्डव) ९२ नोट, २५९, २६३, ३८६, ४७३, ४७७, ५०२, ५०४, ५०५ पांडु (पाण्डु ) २५८, २६१ पाइटीका ( प्राकृतटीका ) ३७ पाकशासनी (विद्या) ३४६ पाखंडि ( का अर्थ ) ४२६ नोट पाखंडिगर्भ (मथुरा) ४२६, ४८४ पाटण के भंडार ३५ ८६, १२७, १८६, १८९, २२६, २७५, २९२, ३२७, ३५४, ३९५, ४७९, ५१३, ५२२ पाटलिपुत्र ( पटना ) ४६२ -कुसुमपुर - पुष्पपुर - पुष्पभद्र पाटलिपुत्रवाचना २९ पाटलिपुत्र की बाढ़ १२८ पाटहिकशाला १८६ पाठ्यक्रम २९३-९५ पाणागार ( रसावण = मद्यशाला ) १८६, १९७, ३६४ पाणामा (प्राणामा) प्रव्रज्या ४२३, ४६६ पाणिग्रहण २५९, ३५९ पाणिपात्रभोजी ३९१ पातंजलि (भगवान्) २९५ पातक २४३ नोट, ३५८ पात्र (बर्तन) १४५ १४५ नोट, १९७
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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