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________________ • ५६२ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज कंदलि ( कंडरीक ) ७०, ७० नोट । कणिक्का (समिया)३१७ कंपिल्लपुर (कांपिल्यपुर), ९३, १३७, | कणेरुदत्त (गजपुर का राजा) ४९९ १७९, १९५, २५८, २७८, ३८३, | कण्हपरिवायग ४१७ ।। ४१८, ४१९, ४३१, ४७०, ४९९, ५०५ | कण्हा (कन्हन ) ४८९ कंबल (बछड़ा) १३३ कताई और बुनाई १४०-१ कंबल १३४, १७६, १८९ कत्ति (कृति = चमखण्ड) १५१, २१५ कंबलरत्र ३१३, ३९८ कथक ४३८ कंबोज १०१, १७७ कथायें (चार) ४१६ कंस (प्रतिवासुदेव ) ५००, ५०१, ५०२, कथावाचक ३६९, ४६४ ५०३ कथासरित्सागर २७७ नोट कंसकार ( कसेरा) १४६ कदलीफल (केला) १२९ कइविय (चमचे)२५६ कनकखल ४१२ ककुभांड (पांच) ४८ नोट कनकमंजरी (पटरानी) ५७, २६५, ३२८ कक्कुरुका ३५१ नोट कनकरथ (राजा) २२५ कक्ख पुडिय (गठरी बगल में दबाकर कनकशक्ति ( भगवान् ) ७१, ७३ नोट चलने वाले व्यापारी) १७० कनिष्क ३४, ४८४ कच्छ ९४, ३४८, ४६४, ४९७ कन्डरीक (कंदलि) ७०, ७० नोट कच्छ (कछ टा)२११ कन्नौज ४७०-४७१ कच्छुल्लनारद (नारद)५२ कन्या-अन्तःपुर ५२, ५६, २६२, २८३ कच्छू ३०९ नोट, ३१०, ३१३,३१६ ।। कपड़े धोना और रंगना १४१ कच्छोटक (गंटोलली) ४१६ नोट | कपर्दक (कौड़ी) ५२३ कजोलक १२५ नोट कपाट १०६ कच्छोटक (लंगोटी) ४१६ नोट कपास का मूल्य १९० कटक (अष्टधातु निर्मित बाले) ३१४ | कपास की फसल १२६ कटपूतना ४४५ कपास से पूनी बनाना १४० कटिबन्ध (अग्गोयर) २१३ कपिल (निरीश्वर सांख्य) ४१७ कटुक (दण्डनिर्णायक)३६४ कपिल (मुनि) ४१६ नोट कटार (स्वनाममुद्रित) ८५ कपिल (विद्यार्थी) २९१ कटकरण (खेत) १२१ कपिल (विद्यार्थी )२९२ कटपाउयार (काठ की पादुका बनाने कपिल (शास्त्र) २९५ वाले) २२२ कपिल और आसुरि २९५ नोट कट्टहारक (लकड़हारे) १३७ कपिलवस्तु ४६२, ४६८ कडय (कड़े)२५६ | कपिशीर्षक (कंगूरे)३३१, ३३८, ४६५ कडय (काशी का र.जा) ४९९ कप्प ( वस्त्र)३९१ कणक (बाग) :०७ | कप्पडिय (कार्याटिक साधु) १८० कणगतिन्दुसय (सोने की गेंद) २५४ कप्पास ( फलही = कपाल) १२६ कणगसत्तरी (सांख्यकारिका) २९५ कप्पासिभ (कार्पासिक) १४०, २२२ कणयालि (झरोखे) ३३४ | कप्पासिअ (लौकिक श्रुत) २९५
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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