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________________ परिशिष्ट ३ ५३५ दुस्सिय (गुजरात या महाराष्ट्र के } पती = पंक्ति = (पंती गुजराती में) दोशी)-दौष्यिक-वस्त्र बेचनेवाला १८२२ (६०) (धुस्सा हिन्दी में) ३२८१ (बृ.) पउणइ = प्रगुणीभवति = अच्छा देवखति = देखता है १८७८ होना ६८ (६०) (नि० चू०) पउलिया = पक्व १०७६ (६०) दोद्धिअ = लौकी (दूधी मराठी) पखाल = पखवाली १०४ (६०) १०.४६४ (व्य०) पघंस-स्नान करने के बाद कुंकुमदोर = डोरी ३८६६ (बृ.) चूर्ण आदि से शरीर को घिसना २३६७ (६०) पच्चोवणी अगवानी के लिए आना धारणिओ-ऋणधारी २६६० (६०) ४४०७ (नि० चू०) धोवण = धोना १६३६ (बृ०)। पच्छयण-पाथेय ११६१ (नि००) पडालि = घर के ऊपर चटाई आदि की बनी कच्ची छत ७.५०५(व्य०) नवरंग २८८२ (६०) | पडिया (पाड़ी हिन्दी ) = छोटी नालिएर = नालिकेर = नारियल भैंस ३. ३४ (व्य०) ८५२ (६०) नावापूरय = चुल्लू ४५६ (६०) | पडुच्छि = भैंस ८७ ( ओ०) निग्घोलिय = खाली किया हुआ पत्थर = पत्थर ६७ (बृ.) ३३६६ (६०) पत्थिय = बांस की बड़ी पेटी ४७६ (ओ०) निच्छक्क = निर्लज २२५६ (६०) पदमग्ग-सोपान १. ११ (नि०सू०) निच्छल्लिय = छालरहित १६५७ . (बृ.) पनरस = पंचदश १४४३ (६०) नित्तुप्प = बिना चुपड़ा हुआ १७०६ पप्पडिय = चावल की पापड़ी ५५६ ॐ (बृ०) (प्रिं०) नीलकेसी = तरुणी ४.१२४ (व्य०) पमद्दमाण - रूई से पूनी बनाना नेऊण = ले जाकर ( नेऊन मराठी ५७४ (पिं०) में ) १७७६ (६०) परित्थड = वृत्तांत १३ (नि० चू०) | परिपूणग = घी-दूध छानने का छन्ना ३४५ (६०) पंचपुंड = पंचपुंड्र = किशोर (पांच परियारण = कामभोग २. ३२१ स्थानों में श्वेत वण वाला) ४३ | (व्य०) . (पिं० भाष्य) परियारिया जिसके साथ विषयपंतवत्थ = जीर्णवस्त्र ३५०८ (बृ०) भोग किया गया हो ५४३ (नि०) पंतावणा = ताडणा ८६६ (बृ०) परिवच्छि = निर्णय २१४२ (६०)
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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