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________________ १८ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज ........... श्रमणधर्म में दीक्षित कर गणधर (प्रमुख शिष्य ) पद से सुशोभित किया। आगे चलकर ये द्वादशांग, चतुर्दश पूर्व और समस्त गणिपिटक • के ज्ञाता बने । गौतम इन्द्रभूति और सुधर्मा को छोड़कर शेष गणधरों का निर्वाण महावीर भगवान की मौजूदगी में राजगृह में हुआ। महावीर के निर्वाण होने के समय गौतम इन्द्रभूति किसी निकटवर्ती गाँव में उपदेशार्थ गये हुए थे। जब वे लौटकर आये और उन्होंने भगवान् के निर्वाण का समाचार सुना तो उनके संताप का पारावार न रहा। उसी रात को उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। गौतम इन्द्रभूति १२ वर्ष तक अपने उपदेशामृत से जन-समाज का कल्याण करते रहे तत्पश्चात् एक मास का अनशन कर ९२ वर्ष की अवस्था में राजगृह में उन्होंने निर्वाण प्राप्त किया। _ आर्य सुधर्मा का नाम आगमों में अनेक जगह आता है । महावीरनिर्वाण के पश्चात, केवलज्ञान प्राप्त करने तक, १२ वर्ष तक उन्होंने जैन संघ का नेतृत्व किया । उत्तर काल के निर्ग्रन्थ श्रमणों को आर्य सुधर्मा का ही उत्तराधिकारी समझना चाहिए, शेष गणधरों के उत्तराधिकारी नहीं थे । जैन संघ का भार अपने शिष्य जम्बूस्वामी को सौंपकर आर्य सुधर्मा ने १०० वर्ष की अवस्था में निर्वाण लाभ किया। - जम्बूस्वामी के पश्चात् प्रभव, फिर शय्यंभव, फिर यशोभद्र, फिर संभूत और उनके पश्चात् स्थूलभद्र हुए। सात निह्नव महावीर निर्वाण के पश्चात्, बौद्ध श्रमण-संघ की भाँति, जैन श्रमणसंघ में भी अनेक मत-मतान्तर प्रचलित होगये। इनमें सात निह्नव मुख्य हैं। सर्वप्रथम बहुरत सम्प्रदाय के प्रवर्तक स्वयं महावीर भगवान् के जामाता जमालि हुए। इस सम्प्रदाय के अनुसार, किसी कार्य के पूर्ण होने में अनेक समय लगते हैं, एक समय में वह पूर्ण नहीं होता। महावीर को केवलज्ञान प्राप्त होने के १४ वर्ष पश्चात् श्रावस्ती में इस निह्नव की उत्पत्ति हुई। जैन शास्त्रों में जमालि को स्वर्गगामी बताया गया है, और कालक्रम से उसे मोक्षगामी कहा है। इसके दो वर्ष बाद, १. कल्पसूत्र ८.१-४; ५.१२७; आवश्यकनियुक्ति ६४४ आदि; ६५६ आदि; आवश्यकचूर्णी पृ० ३३४ श्रादि; नन्दीटीका पृ० १३-२० । २. निशोथचूर्णो ५.२१५४ को चूर्णी ।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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