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।। ॐ ह्रीँ श्रीं आदिनाथाय नमः ||
अंतर एवं आँखों से, नमन करूँ मैं भाव से
विद्वता सर्व साधु भगवंत, ज्ञानी भविक सहु पंडितजन अभ्यास सभर और क्षीरवंत, जहां विचारों का जिन-वृंदावन
सात क्षेत्र, उत्तमोत्तम महीं
आगम क्षेत्र का यहाँ करे स्तवन अति आनंद, हर्ष एवं उल्लास में
"श्रुत-भीनी आंखों में बिजली चमके " का
अवतरण है
यह
संकलन
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