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©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©® 7. तीर्थंकर की देशना सुनकर 1000 व्यक्ति दीक्षा के लिए तैयार होते हैं तो 1000 रजोहरण
(ओघा) एवं 1000 पात्र की जोड़ तैयार मिले इसका रहस्य ‘कृत्रिकापन' । कुः पृथ्वी, त्रिका : तीन, आपन : दुकान । तीन लोक में उपलब्ध ग्राह्य वस्तु वहाँ से मिल जाती है -
Spiritual Department Store कल्पवृक्ष? (ज्ञाता धर्म कथा सूत्र : अ. 1) 8. जीव एक मुहूर्त मात्र यदि कषाय रहित बन जाए तो केवलज्ञान हो जाए उस जीव को
(भगवती सूत्र :श. 6, उ.4) 9. अनंत सिद्धों से अनंत गुणी जीव ऐसे हैं जिसने कभी भी अंतमुहूर्त से अधिक i.e. 48
मिनिट से ज्यादा बड़ा भव नहीं किया । एक घंटा भी पूरा जीने के लिए जिसको नहीं
मिला वे निगोद के जीव । (भगवती सूत्र :श. 24) 10. रे मोही ....... समझ, बस इतना समझ !!
एक बार प्रबल वैरागी ‘संभूति मुनि' भोग में ललचाते मन को विचलित किया । ब्रह्मदत्त चक्री बने। 700 वर्ष का आयुभोग कर 7वीं नरक के 33 सा. के दुःख मिले । एक मिनिट के भोग के पीछे करोड़ों पल्योपम का महाभयंकर दुःख पाया । धन्ना अणगार को नौ महीने भोग का त्याग कर एक मिनिट के मोह त्याग में अरबों पल्योपम का सर्वार्थ सिद्ध
देव का सुख मिला (अनुत्तरो ववाई सूत्र) 11. भव्य जीव की अंतर्धारा को भिगोने वाले 4 प्रकार के बादल का स्वरुप बताते हुए प्रभु
महावीर ने ज्ञान की वर्षा की है। 1. पुष्करावर्त मेघ :- 1 बार बरसता है, 10,000 वर्ष तक भूमि फलफूल युक्त रहती है। 2. पर्जन्य मेघ :- 1 बार बरसता है, 1000 वर्ष तक अनाज उगता रहता है। 3. जीमुर्त मेघ :- 1 बार बरसता है 10 वर्ष तक अनाज उगता रहता है। 4. जित्म मेघ :- जिसके बरसने से अन्न उगे भी और न भी उगे। सब से श्रेष्ठ महावीर मेघ, जिनकी वर्षा आत्म धारा पर बरसे तो अनंतकाल तक आत्म गुणों का अन्न उगता रहता है । (ठाणांग सूत्र : स्थान - 5)
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