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________________ महावीर ..... मन मारुं मोह्युं रे महावीरमां, अहिंसाना आतम एवा महावीरमां भरत चक्रवर्ती पुत्र महावीरमां ऋषभदेवना पौत्र महावीरमां . नयसारना भवे मुनियो ने भोजन कराव्युं, नवकार मंत्रे समकित धराव्युं, वीरडामुँ सींचन कर्तुं भवरणमां मन मारुं खोयुं रे महावीर मां मरिचिना भवमां चारित्र वगोवीयुं वासुदेव ने भवेकाने शीशु रेडावियुं समकित झणहव्यं नंदन मुनिना भवमां पुरुषार्थनी बलिहारी रे जिन शासन मां. .... भरत चक्रवर्ती पुत्र महावीरमां, अहिंसाना आतम एवा महावीर मां ... मन 322 मन उपसर्गो सह्यां तप करी कर्मों खपाव्यां समतानी टोचे तीर्थंकर पढ़ पाया अनेकांत दृष्टि ए जीवों ने उजाल्या खोवायुं 'श्रद्धांध' मन 'जीन' महावीर मां .... मन मन ..... 'श्रद्धांध' 06/05/2002
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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