________________
@GOOGOGOGOG@G©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®@GOGOG
मृत्यु बने महोत्सव मृत्यू में समाधि मिले और परलोक में सद्गति प्राप्त करने की शक्ति उत्पन्न करने के लिए* पुण्य प्रकाश का स्तवन * संथारा पोरसी की कुछ गाथाएँ * वीतराग स्तोत्र के 1,9,15,16,17,19,20 वें प्रकाश के श्लोक
पंच सूत्र * रत्नाकर पच्चीसी * आत्मनिंदा बत्तीसी * अमृतवेल की सज्झाय
अरिहंत वंदनावली = आदि का पुन: पुन: पठन कर हृदय को शुभ भाव से पूर्ण बनाना
आवश्यक है * खामेमि - खामेमि सव्वे जीवा - मैं सभी जीवों से क्षमा याचना करता हूँ * मिच्छामि - मिच्छामि दुक्कडं - मेरे सर्व पापों का नाश हो * वंदामि - वंदामि जिण चउव्वीसं - 24 तीर्थंकरों को वंदन करता हूँ।
इन तीन पदों का अजपा जाप करना चाहिए।
दुष्कृत निंदा (गर्हा) और सुकृत अनुमोदना नित्य ही करना चाहिए। * चार का शरण निरंतर स्वीकार करना।
(अरिहंत, सिद्ध, साधु, केवली द्वारा बताया धर्म) * और कुछ न कर सकें तो इतना तो अवश्य करें -
हे अरिहंत मिच्छामि दुक्कडं, हे अरिहंत मिच्छामि दुक्कडं रटते रहना चाहिए। * अथवा 'वीर-वीर' 'महावीर-महावीर' या 'अरिहंत-अरिहंत' का जाप जपते रहो ।
अपने को जो पद अच्छा लगे उस पद का निरंतर जाप करते हुए हृदय को, मन को, जीवन को उस पद से पूरी तरह अभिभूत बना देना चाहिए जिससे अंतिम क्षणों में वह पद सुनते हुए मृत्यु-महोत्सव बन जाए।
9@GO®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®© 240 90G©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©