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प. पू. गच्छाधिपति, आचार्यदेवेश, ज्योतिष सम्राट श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा.
श्रीमोहनखेड़ा तीथ
शुभकामना संदेश
धर्म प्रभावना की बहुविध पद्धतियाँ हैं । श्रुतवाणी व ज्ञान का प्रचार-प्रसार इनमें सर्वाधिक महत्व रखता है। श्री विजय दोशीधन्यवाद के पात्र हैं कि विदेश में रहकर व सांसारिक जवाबदारी निभाते हुए भी न केवल स्वयं स्वाध्याय किया वरन् स्टडी ग्रुप व प्रकाशनों के माध्यम से जिनवाणी को जनजन तक पहुँचाया।
"श्रुत-भीनी आँखों में बिजली चमके" अलगअलग विषयों पर श्रुत ज्ञान का संकलन है । इनका चयन व संकलन निश्चित ही सूक्ष्म दृष्टि से किया गया श्रमसाध्य कार्य रहा होगा ।
इस प्रकाशन हेतु मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ । मुझे विश्वास है कि यह संकलन जिनवाणी के सुधी पाठकों की ज्ञान वृद्धि में सहायक होगा व जैन जगत में इसका स्वागत किया जावेगा।
- आचार्य ऋषभचन्द्रसूरि