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महुआ निवासी
स्व. श्री फतेहचंद भाई प्रागजीभाई दोशी मातृ-पितृ देवेभ्यो नमः
स्व. श्रीमती कंचनबेन फतेहचंद भाई दोशी
माँ संस्कार की सरिता और गुणों की खान है । माँ खुद सहकर पुत्रों को बड़ा करती है । माँ तो माँ है, इसके तुल्य और कोई नहीं है । माँ को जितनी उपमा दी जाए कम है ।
पिता संस्कार और धन अर्पण करते हैं ।
पिता-माँ का हुक्म मानना बच्चों का कर्तव्य है ।
परिवार में, समाज में, कुल को बढ़ाने में माँ-पिता का बहुत योगदान रहता है ।