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________________ ईश्य ईडान Ir tai 38 सरस संस्कृतम्-२ 88.80%D8.3.3.3.3.3.8416- ११.४.४ nitino noo i धातु । त्वर्थ | र वर्तमान वर्तमान | तर भूत भलभूत तव्य । अनीय य કર્તરિ કર્મણિ | आस्यमान | आसितवत् | आसित |आसितव्य | आसनीय | आस्य | ह्रोतुम् | हृत्वा | ढुवान ढूयमान | हृतवत् । हृत | ह्रोतव्य हवनीय ह्नव्य ह्राव्य वसितुम् | वसित्वा | वसान वस्यमान | वसितवत् वसित वसितव्य वसनीय वास्य ईशितुम् ईशित्वा ईशान ईश्यमान ईशितवत् ईशित ईशितव्य ईशनीय ईडितुम् | ईडित्वा ईड्यमान ईडितवत् ईडित ईडितव्य ईडनीय ईड्य मार्जितुम् | मार्जित्वा | मृजत् । मृज्यमान मृष्टवत् मृष्ट मार्जितव्य मार्जनीय मृज्य माष्टुम् | मृष्ट्वा | मात् माटव्य वशितुम् वशित्वा उशत् उशितवत् उशित | वशितव्य | वशनीय | वाश्य शास् | शासितुम् शासित्वा | | शासत् || शिष्यमाण | शिष्टवत् | शिष्ट शासितव्य | शासनीय | शिष्य शिष्ट्वा जागृ | जागरितुम् जागरित्वा जाग्रत् | जागर्यमाण | जागरितवत् जागरित जागरितव्य जागरणीय | जागर्य चश् । ख्यातुम् | ख्यात्वा | चक्षाण | ख्यायमान | ख्यातवत् ख्यात | ख्यातव्य ख्येय क्शातुम् क्शात्वा क्शातवत् |क्शातव्य | क्शानीय | क्शेय આના કર્મણિ રૂપો પાઠ – ૧૩ માં આવશે. मार्ग्य उश्यमान क्शायमान क्शात | क
SR No.007261
Book TitleSaral Sanskritam Dwitiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhaktiyashvijay
PublisherDivyadarshan Trust
Publication Year
Total Pages296
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size33 MB
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