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________________ तो : ન | ધાતુ छेत्तव्य रेच्य - तल - & सस संस्कृतम्-२ १.३.४४८D8.3.3.3.3.3.3 416-८.8.3 ॐ ॐ ॐ त्वर्थ | ५ | वर्तमान वर्तमान | तर भूत भलि भूत तव्य | अनीय य भूत | तार | भात भोक्तुम् | भुक्त्वा | भुञ्जत् | भुज्यमान | भुक्तवत् | भुक्त | भोक्तव्य | भोजनीय | | भोज्य भोग्य इन्ध् । इन्धितुम् | इन्धित्वा| इन्धान | इध्यमान | इद्धवत् इद्ध | इन्धितव्य | इन्धनीय इन्ध्य [५.] | छेत्तुम् । छित्त्वा | छिन्दत् | छिद्यमान | छिन्नवत् छिन्न छेदनीय छेद्य [.] / रेक्तुम् | रिक्त्वा रिञ्चान | रिच्यमान | रिक्तवत् रिक्त | रेक्तव्य रेचनीय | पेष्टुम् | पिष्ट्वा पिंषत् | पिष्यमाण | पिष्टवत् पिष्ट | पेष्टव्य पेषणीय | पेष्य अङ्ग् अङ्क्तुम् अङ्क्त्वा अञ्जत् अज्यमान | अङ्क्तवत् अङ्क्त | अङ्क्तव्य | अञ्जनीय | अञ्ज्य हिंस् | हिंसितुम् | हिंसित्वा हिंसत् | हिंस्यमान हिंसितवत् | हिंसित | हिंसितव्य | हिंसनीय हिंस्य रुध् [५.] | रोद्धम् । रुद्ध्वा | रुन्धत् | रुध्यमान | रुद्धवत् | रुद्ध | रोद्धव्य । रोधनीय | रोध्य तृह् तर्हितुम् | तर्हित्वा | तृहत् | तृह्यमाण | तृहितवत् | तृहित | तर्हितव्य | तर्हणीय | तमु
SR No.007261
Book TitleSaral Sanskritam Dwitiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhaktiyashvijay
PublisherDivyadarshan Trust
Publication Year
Total Pages296
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size33 MB
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