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________________ ન | ધાતુ क्षण oo oo oo આત્મને, oo ui 33 स२६ संस्कृतम्-२ 8.8.8(२०.3.3.3.3.3.3.3 416-४.8.3 » अन्तो :ગણ | પદ | હેત્વર્થ | સંબંધક | કર્મણિ | કર્તરિ | વર્તમાન | વર્તમાન हन्त | ભૂતકૃદન્ત ભૂતકૃદન્ત ભૂતકૃદન્ત | કર્મણિ કુ. કર્તરિ કુ. ५२स्मै. | क्षणितुम् । क्षणित्वा । क्षत क्षतवत् क्षण्यमान क्षण्वत् वन् वनितुम् | वनित्वा/वत्वा वत । वतवत् वन्यमान वन्वान प्र + तन् 8 | Gमय. | प्रतनितुम् प्रतत्य | प्रतत | प्रततवत् प्रतन्यमान प्रतन्वत् प्रतायमान | प्रतन्वान अङ्गी+कृ उभय. | अङ्गीकर्तुम् अङ्गीकृत्य | अङ्गीकृत अङ्गीकृतवत् अङ्गीक्रियमाण अङ्गीकुर्वत् अङ्गीकुर्वाण वि+चि Gमय. | विचेतुम् विचित्य | विचित | विचितवत् | विचीयमान | विचिन्वत् | विचिन्वान आ+वृ उभय. आवरितुम् आवृत्य आवृत | आवृतवत् | आक्रियमाण | आवृण्वत् आवरीतुम् आवृण्वान स्तृ5 उभय. | स्तर्तुम् । स्तृत्वा स्तृत | स्तृतवत् | स्तर्यमाण | स्तृण्वत् स्तृण्वान ८ | प्र+हि ५२स्मै. | प्रहेतुम् प्रहित्य प्रहित | प्रहितवत् । प्रहीयमाण | प्रहिण्वत् प्र+साध् ५२स्मै. प्रसाद्धम् प्रसाध्य प्रसाद्ध | प्रसाद्धवत् | प्रसाध्यमान | प्रसानुवत् ५२स्मै. श्रोतुम् श्रुत्वा श्रुत | श्रुतवत् श्रूयमाण | शृण्वत् પરસ્પે. शक्तुम् शक्त्वा शक्त | शक्तवत् | शक्यमान शक्नुवत् ५२स्मै. धर्षितुम् धर्षित्वा धर्षित/धृष्ट धर्षितवत् | धृष्यमाण | धृष्णुवत् in crurunur
SR No.007261
Book TitleSaral Sanskritam Dwitiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhaktiyashvijay
PublisherDivyadarshan Trust
Publication Year
Total Pages296
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size33 MB
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