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________________ खण्ड ] : विभिन्न प्रान्तों में प्राज्ञा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें-गूर्जर-काठियावाड़ और सौराष्ट्र-वीरममाम :: [ ४६७ प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० आचार्य प्रा० शा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १४८३ माघ चन्द्रप्रभ तपा० सोमसुन्दरसरि प्रा० ज्ञा० श्रे० परमा की स्त्री सारु के पुत्र गीनाने स्वभा० शु० १० बुध. अमकुसहित स्वश्रेयोर्थ.. सं० १४६१ आषाढ़ अभिनन्दन डीसाग्रामवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० पाल्हा भार्या हिमी, अंबु पुत्र चोवीशी हरपति ने भा० प्रामु, भ्रात धरणा आदि कुटुम्बसहित. सं० १५०० ज्ये० पद्मप्रभ कच्छोलीडागच्छीय- प्रा. ज्ञा० श्रे० धारसिंह ने भा० साहुदेवी, पुत्र काहा भा० कृ० १२ गुरु० सकलचंद्रसरि कामलदेवी पुत्र बाहु, वाल्हा, हीदा के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५२५ पौ० अजितनाथ साधूपूनमिया प्रा० ज्ञा० श्रे० डो० वाहड़ भा० कर्मणी के पुत्र हीरा की शु० १५ गुरु० श्रीसूरि स्त्री हांसलदेवी के पुत्र डो० पर्वत ने पितृव्य के श्रेयोर्थ. सं० १५३३ चौ० चन्द्रप्रभ नागेन्द्रगच्छीय प्रा. ज्ञा० श्रे० तेजमल भा० पोमीदेवी के पुत्र जावड़, कु० २ गुरु० सोमरत्नसरि जगा ने पिता-माता, पुत्र देहलादि, मित्र एवं स्वश्रेयोर्थ. पोसीना के श्री पार्श्वनाथ-जिनालय में सं० १३०२ वै० पार्श्वनाथ नागेन्द्रगच्छीय चांगवासी प्रा० झा० श्रे० वरसिंह ने पिता वस्तुपाल शु० १० श्रीयशो'... "सरि और माता मूलदेवी के श्रेयोर्थ. सं० १४८१ माघ श्रेयांसनाथ तपा० सोमसुन्दरसरि प्रा० ज्ञा० श्रे० लाखा भा० सुल्ही के पुत्र मोकल ने स्वभा० शु०१० पाविदेवी के सहित श्री. उद्यापन के शुभावसर पर. सं० १६७८ ज्ये० शांतिनाथ विजयदेवेन्द्रसरि शावलीवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० नाना के पुत्र हंसराज ने. क० ६ सोम० पाषाण-प्रतिमा वीरमग्राम के श्री संखेश्वर-पार्श्वनाथ-जिनालय में सं० १३३४ ज्ये० श्रेयांसनाथ द्विवंदनीकगच्छीय वीशलनगरवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० वरसिंह के पुत्र सालिग कृ० २ सोम० - सिद्धमूरि भा० साडूदेवी के पुत्र देवराज ने स्वमा० रलाईदेवी, भ्रा. वानर, अमरसिंहादि के सहित. सं० १५०० वै० वर्धमान श्रीमरि प्रा० ज्ञा० सं० उदयसिंह भा० चांपलदेवी पु० सं० नाथा मा० कड़ी ने पुत्र समधर, श्रीधर, आसधर, देवदत्त, पुत्री कपूरी, कीबाई, पूरी आदि कुटम्ब-सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५२३ वै० कुन्थुनाथ चित्रवालगच्छीय प्रा. ज्ञा० श्रे० कर्मण भा० कपूरी के पुत्र कड़ा ने भा० कृ. ४ गुरु. ___रत्नदेवसरि मानदेवी, पुत्र धर्मसिंह भा० बडु आदि कुटुम्बसहित. जै० घा०प्र० ले० सं० भा० १ ले० १४२६, १४१६, १४२८, १४३१, १४४३, १४७६, १४८२, १४८४, ११५१, १५०६,१५०५।
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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