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६]
प्र० वि० संवत् सं० १४६० वै०
शु० ३
सं० १५१७ माघ सुमतिनाथ कृ० ८ सोम.
सं० १५३१ ज्ये० शु० २ रवि ०
सं० १५०३ आषाढ़ सुमतिनाथ
शु० २ गुरु.
पार्श्वनाथ
प्र० प्रतिमा
सं० १५१० फा० शु० १२
सं० १४८१ माघ सुविधिनाथ शु० १०
नेमिनाथ
-:: प्राग्वाट - इतिहास ::
राधनपुर के श्री शान्तिनाथ - जिनालय में
o आचार्य
प्रा० शां० प्रतिमा प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि
तपा० सोमसुन्दर - प्रा० ज्ञा० श्रे० मांडण की स्त्री सरस्वती के पुत्र आह्ना ने सूरि स्वभा० आल्हणदेवी, पुत्र सुगाल, गोविंद, गणपति के सहित. वृ० त० जिनरत्न- प्रा० ज्ञा० ० सांगा की स्त्री मटकू की पुत्री पूरी नामा सूरि ने स्वश्रेयोर्थ.
महेसाणा के श्री सुमतिनाथ - जिनालय में
तपा० रत्नशेखर- वीसलनगरवासी प्रा०ज्ञा० सं० सादा के पुत्र सं० वाछा की सूरि स्त्री वीसलदेवी के पुत्र सं० कान्हा, राजा, मेघा, जगा, अदा; इनमें से श्रे० मेघा ने स्वभा० मीणलदेवी, पुत्र सूरदास प्रमुख कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ. सहसाणावासी प्रा० ज्ञा० श्रे० कर्मण ने.
सं० १५०३ माघ ०
संभवनाथ
कृ० ६
सं० १५१३ ज्ये० श्रेयांसनाथ
शु० ३ गुरु०
वीरमग्राम के श्री शांतिनाथ - जिनालय में
तपा० सोमसुन्दर- प्रा० ज्ञा० ० धांगा की स्त्री धारिणीदेवी के पुत्र तीरा सूरि ने स्वभा० पोमीदेवी, पुत्र सोमचन्द्र, हेमचन्द्र के सहित स्वश्रेयोर्थ.
प्रा० ज्ञा० श्रे० धनराज नगराज ने.
[ तृतीय
श्रागमगच्छीयदेवरत्नसूर
प्रा० ज्ञा० मं० अर्जुन की स्त्री अहिवदेवी के पुत्र मं० पेथा की स्त्री रामतिदेवी के पुत्र हरदास ने स्वश्रेयोर्थ.
महुआ (सौराष्ट्र) के श्री जिनालय में
सूरि
मुनिसुव्रत - तपा० रत्नशेखर- स्तम्भतीर्थवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० लाषा की स्त्री मातृदेवी चोवीशी के पुत्र श्रे० करण ने, भा० कर्मादेवी, पुत्र महिराज, कुरा, ठाकुर भ्रातृ श्रे० आका भा० टबकू पुत्र हेमराज, शिता, श्रे० सायर भा० धनदेवी पुत्र तेजराज, श्रे० राजमल भा० माणिकदेवी पुत्र पत्ता, सहजादि सहित सर्वश्रेयोर्थ.
प्रा० ले ० सं ० भा० १ ० १४६, ३०७, १६७ । खं० खं० प्रा० जे० इति ० ले० १५ । प्रा०ले ० सं० भा० १
प्रा० जै० इति० ले० २८ । प्रा० ले० सं० भा० १ ले० १२५ । ० २६२, २५६ /