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________________ खएड] :विभिन्न प्रांतों में प्रा०मा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें-अर्बुदप्रदेश (गूर्जर-राजस्थान)-रोहिड़ा : [४२६ ................ प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र. प्राचार्य प्रा. ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठ सं० १७६८ मार्ग कुन्थुनाथ श्रीसरि प्रा०ज्ञा० श्रे० साल्हा की स्त्री धरण के पुत्र साबा ने मात के पुत्र सिंघा, साहणासहित. सं० १-६६ वै० संभवनाथ पद्माकरसरि प्राज्ञा० श्रे० कडूआ ने पिता-माता के श्रेयोर्थ. शु०६ गुरू० रोहिड़ा के श्री पार्श्वनाथ-जिनालय में धातु-प्रतिमायें सं० १३६४ ऋषभदेव अभयचन्द्रसरि प्रा० ज्ञा० श्रे.......... सं० १३६५ वै. सुमतिनाथ- गुणप्रभसूरि प्रा० ज्ञा० श्रे० लूगा की स्त्री वयजलदेवी के पुत्र महणा ने शु. ३ सोम० पंचतीर्थी माता के श्रेयोर्थ. सं० १४०५ वै० शान्तिनाथ सोमतिलकसरि मड़ाहडगच्छानुयायी प्रा० ज्ञा० म० हरपाल के पुत्र मंडलिक शु० २ सोम० ने भ्रात आल्हा भा० सूहवदेवी के श्रेयोर्थ. सं० १४२६ द्वि० पार्श्वनाथ- मडाहड़गच्छीय प्रा० ज्ञा० श्रे० मदन की स्त्री माल्हणदेवी के पुत्र देदा ने वै० शु०१० रवि. पंचतीर्थी पूर्णचन्द्रसरि पिता-माता के श्रेयोर्थ. सं० १४७७ मा० महावीर तपा० सोमसुन्दर- प्रा. ज्ञा० श्रे० पूनसिंह की स्त्री पोमादेवी के पुत्र वासल ने कृ० ११ सूरि स्वश्रेयोर्थ. सं० १४८० ज्ये० आदिनाथ- , प्रा. ज्ञा० श्रे० रत्ना की स्त्री रत्नादेवी के पुत्र देल्हा ने शु० ५ पंचतीर्थी स्वपिता-माता के श्रेयोर्थ. सं० १५०३ फा० नमिनाथ- तपा० प्रमोद- रोहिड़ाग्रामवासी प्रा० ज्ञा० गांधी वाछा की स्त्री बूड़ी के पुत्र कृ. २ रवि. पंचतीर्थी सुन्दरसूरि चांपसिंह ने भा० चांपलदेवी, पुत्र वीरम, वीसा, नागा, जीवा, माला. झालादि कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५०७ माघ कुन्थुनाथ- तपा० रत्नशेखर- कासहदग्राम में प्रा. ज्ञा० श्रे० धरणा की स्त्री लाछीदेवी के शु० ५ पंचतीर्थी सरि पुत्र सालिग ने भार्या तोलीदेवी, पुत्र रील्हादिसहित. सं० १५१० ज्ये० संभवनाथ- तपा० रत्नशेखर प्रा० ज्ञा० श्रे० माल्हा की स्त्री मोहणदेवी के पुत्र वरिसिंह शु० ३ पंचतीर्थी ने भा० हर्षदेवी, पुत्र सालिग के सहित स्वश्रेयोथ. सं० १५१५ नमिनाथ प्रा० ज्ञा० श्रे० मला की स्त्री मान्हणदेवी के पुत्र श्रे. चांपा ने भ्रातृ सूरा, सिंघा, सहजा, विजा, तेजा, टहकू सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५१६ विमलनाथ प्रा० ज्ञा० श्रे० वाछा की स्त्री सेगूदेवी के पुत्र देन्हा ने मा० पंचतीर्थी सुन्दरदेवी, भ्रात चांपा, भ्रातृज धर्मचन्द्रादि कुटुम्बसहित भ्रात देवीचन्द्र के श्रेयोर्थ. प्र० प्र० ० ले० सं० ले० ५५५, ५५६, ५६६, ५६७, ५६८, ५६६, ५७१, ५७२, ५७६, ५८० ५८१, ५८५, ६८६ । परि
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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