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:: प्राग्वाट-इतिहास:
[ तृतीय
प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्राचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५१६ मार्गः देवकुलिका ......... वीरवाडकवासी प्रा०ज्ञा० श्राविका नलष्मी (?) के पुत्र गदा
की स्त्री देवलदेवी के पुत्र देवीचन्द्र ने भा० कीन्हम्पदेवी (?) पुत्र बाबर आदि कुटुम्बसहित प्रा० ज्ञा० सं० सोमचन्द्र की स्त्री मंदोपरि के पुत्र सं० देवीचन्द्र ने भा० दामिड़देवी के सहित प्रा० ज्ञा० श्रे० छाड़ा की स्त्री खेतूदेवी के पुत्र हरपाल लखा ने भा० अलूदेवी, पुत्र गोमा के सहित प्रा० ज्ञा० श्रे० रायमल की स्त्री रामादेवी के पुत्र हीराचन्द्र ने भा० रूयड़, पुत्र देपा, धर्मा, दला, घांधल आदि कुटुम्बसहित प्रा० ज्ञा० श्रे० वरदा ने स्वभा० मानकदेवी, पुत्र पाखा भा० जयतूदेवी पुत्र वरड़ा ने भा० कर्मादेवी, पुत्र पान्हण
के सहित सं० १५१६
पनासीत्रावासी प्रा०ज्ञा० म० झांझा की स्त्री थावलदेवी के पुत्र मं० कूपा ने मा० कामलदेवी, पुत्र गहिंदा, कुंभादि
कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ " " तपा० वीरवाटकवासी प्राज्ञा० श्रे० गदा की स्त्री देवलदेवी के
पुत्र सोगा ने स्वभा० शृंगारदेवी पुत्र आसराजादि-कुटुम्बसहित सं० १५२१ मा० देवकुलिका ......... तेलपुरवासी प्राज्ञा० श्रे० सोमचन्द्र ने श्रे० वरा पुत्र गांगा शु०१३
सुन्दर,खाखा,वना,देवा, वरस आदि कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५२१ माष बड़प्रसाद
पाजववासी प्रा०ज्ञा० श्री सोमचन्द्र,मांडण, हेमराज, बिला शु० १३
ने पुत्र पावा, सलखादि कुटुम्व-सहित. सं० १७१६ माघ श्री सिंहविजय- तपा० श्री शील प्रा० ज्ञा० मंत्रीश्वर शाह श्री वणवीर के पौत्र धर्मदास धनराज ने कृ. ८ सोम० गुरुपादुका विजयगणि सिरोही वीरवाड़ा के चतुर्विध-संघ समस्त समुदाय के सहित.
झाडोली ग्राम के श्री जिनालय में सं० ११४५ ज्ये० आदिनाथ ......... प्रा. ज्ञा० श्रे० यशदेव ने श्रेयोर्थ.
कृ०.२
अ० प्र० ० ले० सं० ले०२८५, २८६, २८६, २६०, २६२,२८७, २८८, २६४, २६५, २६८, ३०७ ।