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________________ ४१८] प्र० वि० संवत् सं० १५६१ वै० कृ० ६ शुक्र ० सं० १५३३ पौष कृ० १० गुरु ० सं० १५३३ पौष कृ० १० गुरु ० सं० १३४६ सं० १३५५ सं० १३६८ माघ शु० ६ बुध० सं० १३८४ माघ सं० १४४५ फा० क्र० १० रवि ० प्र० प्रतिमा सं० १४८६ माघ शु० ४ शनि ० सं० १४६० वै० शु० ६ शनि ० सं० १४६६ फा० कृ० ८ सुमतिनाथ मिनाथ सुमतिनाथ आदिनाथ महावीर कृ० ८ गुरु० सं० १३६१ माघ पार्श्वनाथ कृ० ११ शनि ० " पार्श्वनाथ मुनिसुव्रत महावीर चंद्रप्रभ :: प्राग्वाट - इतिहास :: संभवनाथ o आचार्य आनंदविमल - सूरि श्री अष्टापद - जिनालय में तपा० लक्ष्मी सागरसूरि सागरसूरि श्री उव० श्री सिद्धमूरि श्री सुपार्श्वनाथ - जिनालय में पञ्चतीर्थी तपा० लक्ष्मी - वीशलनगरवासी प्रा० ज्ञा० ० लूगा की स्त्री लूणादेवी के पुत्र राजमल ने स्वभार्या नीणादेवी पुत्र शकुनराज. श्री चन्द्रप्रभस्वामि-जिनालय में श्री परमचन्द्रसूरि तपा० लक्ष्मी सूरि जिनसिंहमूरि बृ० गच्छीय रत्नाकरर प्रा० ज्ञा० श्रे० श्रीकुमार के पुत्र ने पिता-माता के श्रेयोर्थ. प्रा० ज्ञा० ० जगसिंह की प्रथम स्त्री खेतुदेवी के श्रेयोर्थ सागरसूरि द्वितीया स्त्री जासलदेवी के पुत्र अलक ने. शालिकर्मा तिलक- प्रा० ज्ञा० पिता श्रे० आशचन्द्र, श्रेयोर्थ पुत्र नन सामा ने. माता पारुणदेवी के प्रा० ज्ञा० ० जगधर की स्त्री हांसी बहिन के पुत्र गोसल ने माता-पिता के श्रेयोर्थ. तपा० सोमसुन्दर - सूरि साधु० पू०गच्छीय हीरागंदसूर तपा० सोम [ तृतीय प्रा० शा ० प्रतिमा प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सागवाड़ावासी प्रा०ज्ञा० पृ० शा० मंत्री वीसा ने स्वभा० टीबूदेवी, पुत्र मं० विरसा, लीला, देदा और चांदा प्रमुख परिजनों के सहित स्वश्रेयोर्थ. सुन्दरसूरि के उपदेश से सोमचंद्रसूरि प्रा० ज्ञा० श्रे० गांधी हीराचन्द्र की स्त्री हेमादेवी के पुत्र चाहित ने स्वभा० लालीबाई, पुत्र समरसिंह, पुत्रवधू लाड़कुमारी के सहित स्वश्रेयोर्थ. प्रा० ज्ञा० श्रे० पहुदेव की स्त्री देवश्री के श्रेयार्थ उसके पुत्र बुल्हर, झांझण और कागड़ ने. प्रा०ज्ञा० श्राविका साहूदेवी के पुत्र धीणा ने भ्राता धारा के श्रेयोर्थ. प्रा०ज्ञा० मं० दूदा की स्त्री प्रीमलदेवी के पुत्र मं० कान्हा ने स्वभा० बाबूदेवी, पुत्र राजमल के सहित स्वश्रेयोर्थ. प्रा० ज्ञा० ० पांदा के पुत्र बाहड़ ने. प्रा० ज्ञा० सं० मांडण की स्त्री माल्हणदेवी के पुत्र पासा की भा० वर्जुदेवी के पुत्र बस्तिमल ने काका कोला, काकी मटकूदेवी और स्वाभार्या अधू देवी के सहित स्वश्रेयोर्थ. जै० ले ० सं ० भा० ३ ० २१५१, २१७३, २१६४, २२३८, २२४०, २२४६, २२५०, २२५८, २२७६, २२६८, २३०६, २३१५ ।
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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