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* प्राग्वाट - इतिहास ::
श्री द्वारा प्रतिष्ठित कुछ मन्दिर और कुछ प्रतिमाओं का विवरण:प्र० वि० संवत् प्रतिष्ठित प्रतिमा तथा जिनालय
३५६ ]
१४२६
१४३८
१४३६
१४४५ का० कृ० ११
रविवार
१४४५
१४४५
१४४६ माघ शु० १३ रविवार
१४४७ फा० शु० ६ सोमवार
१४४६ माघ शु० ६ रविवार
१४५६ ज्ये० कृ० १३ शनैश्वर
नगर
लोलाग्राम में
१४६६ माघ शु० ६ रविवार
99
वीवाड़ा में
१४५६
सिंहवाड़ा में
१४६८ का० कृ० २ सोम. शंखेश्वरतीर्थ में
१४७० चै०
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१४६८ वै० शु० ३ गुरुवार.
१४६८
मोढ़ेरग्राम में
राजनगर में
० शु० ८ गुरु.
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11
[ तृतीय
श्रीमाल ज्ञा. . धांध के पुत्र आसा ने जिनबिंबों की प्रतिष्ठा करवाई श्रा० तेजू ने जिनबिंबों की प्रतिष्ठा करवाई ।
स्थानीय श्रे० पद्मसिंह ने श्री मुनिसुव्रतप्रासाद करवाया तथा एक दानशाला बनवाई |
प्रा० ज्ञा० श्रे० भादा ने पार्श्वनाथादि तेवीस जिनबिंबों की प्रतिष्ठा करवाई ।
पारकरदेशवासी नागड़गोत्रीय श्रे० मुजा ने श्री पार्श्वनाथबिंब की प्रतिष्ठा करवाई ।
मोढ़ेरग्रामवासी भादरायणगोत्रीय श्रे० भावड़ ने चौवीशी की प्रतिष्ठा करवाई ।
प्रा० ज्ञा० ० कोल्हा और आल्हा ने जिनबिंबों की प्रतिष्ठा करवाई.
शानापतिज्ञाति (९ ) के मारू श्रे० हरिपाल की पत्नी सुहवदेवी के पुत्र देपाल ने श्रीमहावीरबिंब की प्रतिष्ठा करवाई । उकेशवंशीय गोखरूगोत्रीय श्रे० नालुण की स्त्री तिहुणदेवी ने तथा उनके पुत्र नागराज ने अपने पिता के श्रेयार्थ श्री शांतिनाथ की प्रतिमा भराई और प्रतिष्ठित करवाई ।
श्री ० ज्ञा० महन ने श्री चन्द्रप्रभबिंब की प्रतिष्ठा करवाई ।
० पाताशाह ने श्री आदिनाथ मन्दिर बनवाया ।
श्रे० कडूआ ने जिनबिंबों की प्रतिष्ठा करवाई ।
श्री० ज्ञा० कडुक ने तेवीस जिनबिंबों की प्रतिष्ठा करवाई । प्रा०ज्ञा० श्रे० राउल ने श्री शांतिनाथपंचतीर्थी की प्रतिष्ठा करवाई. सलखणपुर में स्थानीय हरियाणगोत्रीय श्रे० सांगशाह ने मनोहर जिनालय
बनवाया ।
प्रा० ज्ञा० उदा की ख्री तथा उसके पुत्र जोला, जोला की स्त्री जमणादेवी और उसके पुत्र मुड़ ने श्री पार्श्वनाथबिंब को भरवाया और उसकी प्रतिष्ठा करवाई ।
श्री० ज्ञा० ० सांसण ने विमलनाथबिंब की प्रतिष्ठा करवाई ।