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________________ खण्ड] :: तीर्थ एवं मन्दिरों में प्रा० ज्ञा० सद्गृहस्थों के देवकुलिका-प्रतिमाप्रतिष्ठादिकार्य-श्री अचलगढ़तीर्थ:: [३१३ वि० सं० १५२७ वैशाख शु० ८ को प्राग्वाटज्ञातीय संघवी देव की स्त्री नागूदेवी के पुत्र संघवी सिंहा और उसकी स्त्री साहीया, शा० कर्मा और उसकी स्त्री धर्मिणी; उनमें से शा० कर्मा के पुत्र शा० सपदा की स्त्री जिसदेवी की कुक्षि से उत्पन्न पुत्र संघवी खेता और उसकी स्त्री खेतलदेवी; संघवी गोविंद और उसकी स्त्री १ गोगादेवी २ सुहवदेवी, उनमें से संघवी .गोविंद का पुत्र शा० सचवीर और उसकी स्त्रियाँ १ पद्मादेवी २ प्रीमलादेवी आदि कुटुम्बीजनों ने श्री कुंथुनाथ भगवान् की धातुमय सुन्दर प्रतिमा भरवाकर श्री तपागच्छाधिपति श्री लक्ष्मीसागरसूरि द्वारा प्रतिष्ठित करवाकर उसको शुभ मुहू त में यहाँ स्थापित करवाई। उक्त मूलनायक प्रतिमा का बनाने वाला महेसाणावासी सूत्रधार मिस्त्री देव भार्या करमी के पुत्र मिस्त्री हाजा और काला थे। निम्न धातुप्रतिमाओं के प्रतिष्ठापक प्रा. ज्ञा० श्रेष्ठि और उनका यथाप्राप्त परिचय:प्र. विक्रम संवत् प्र. प्रतिमा प्र. आचार्य प्रतिमाप्रतिष्ठापक श्रेष्ठि १-१५२० प्रा० शु० २ श्री मुनि- त० लक्ष्मीसागर- चूरावासी प्रा० ज्ञा० व्य० सादा भा० रूपी के पुत्र सुव्रत सूरि काजा ने अपनी स्त्री रूपिणी और पुत्र शोभा, देभा, विक्रमादि के सहित. २-१२६३ फा० कृ. ५ चौवीशी लेऊअगच्छीय प्रा. ज्ञा० श्रे० रावदेव के पुत्र मं० देवचन्द्र ने स्त्री सोमवार __श्री आम्रदेवसूरि अयहव के तथा अपने श्रेयार्थ. ३-१३६८ आदिनांथ श्री आनंदमूरि- प्रा०ज्ञा० श्रे० आसराज की स्त्री पाईण के पुत्र अभय, पट्टधर श्री हेमप्रभसूरि वीक्रम, गोहण और तेजादि ने पितुश्रेयार्थ. ४-१३७४ ज्ये० शु०१० चौवोशी श्री सूरि ठ० भमरपाल के पुत्र ठ० अभयसिंह के श्रेयार्थ पुत्र बुधवार आमा ने.. ५-१३७५ माघ कृ० ११ आदिनाथ भावदेवसरि प्रा० श्रे० सोना ने पिता वीरपाल, माता मूघी के श्रेयार्थ ६-१३७६ माघ कृ० १२ महावीर जिनसिंहसूरि प्रा०श्रे० काला भार्या कपूरदेवी, धना भार्या बलालदेवी बुधवार ने अपने पिता जशचन्द्र, माता नायकदेवी के श्रेयार्थ. ७-१३७६ वै० कृ. १० शांतिनाथ अभयचन्द्रसरि प्रा० ज्ञा. श्रे. जगपाल भार्या लक्षादेवी के पुत्र सोमवार मेघराज ने. ८-१३७६ ज्ये० शु० ८ आदिनाथ- पासदेवमूरि प्रा०ज्ञा० श्रे० जगपाल भार्या सलूजलदेवी के पुत्र ने शनिश्चर पंचतीर्थी पिता-माता के श्रेयार्थ. ६-१३८२ वै० कु. ८ पार्श्वनाथ पद्मचन्द्रसूरि प्रा० ज्ञा० श्रे० धनपाल भार्या धांधलदेवी की पुत्रगुरुवार वधू चाहिणदेवी ने अपने पति चाचा के श्रेयार्थ. १०-१३८६ फा० शु०८ शांतिनाथ मड़ा. रत्नसागर- प्रा. ज्ञा० श्रे० देपाल ने अपने पिता पूनसिंह, माता सोमवार सूरि नयणदेवी के श्रेयार्थ. अ० प्रा० ० ले० सं० भा० २ ले० ४६१। अ० प्रा० ० ले० सं० भा०२ ले० (१)५०३, (२)५२२, (३)५४०, (४)५४५, (५)५४६. (६)५४७, (७)५४८, (८)५४६, (E)५५२, (१०)५५८,
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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