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: प्राग्वाट-इतिहास:
[तृतीय
३-वायव्यकोण में विनिर्मित शिखरबद्ध महाधर-देवकुलिका में श्री सीमंधरस्वामीबिंब को स्वस्त्री उमादेवी, पुत्र यशवंत और भ्रातृगण तथा भ्रातृजों के सहित पूर्वाभिमुख प्रतिष्ठित करवाया।
श्रेष्ठि रामा
वि० सं० १५०१ वि० सं० १५०१ ज्ये० शु. १० को प्रा०ज्ञा० श्रे० करण के पुत्र रामा ने तपा० श्री मुनिसुन्दरसरि के करकमलों से श्री सुमतिनाथबिंब को प्रतिष्ठित करवाया।
श्रेष्ठि पर्वत और सारंग
वि० सं० १५११ वि० सं० १५११ मार्ग शु० ५ रविवार को देवकुलपाटकवासी प्रा०ज्ञा० सा० रामसिंह भार्या रत्नादेवी के पुत्र सा. जयसिंह भार्या मेघवती के पुत्र अमरसिंह भार्या श्रीदेवी के पुत्र पर्वत ने स्वस्त्री, पुत्री फली, भ्रात् सा० माला, रामदास और रामदास की पुत्री राणी आदि कुटुम्बियों के सहित तथा राणीदेवी के पुत्र खोगहड़ावासी सा० हीरा स्त्री पाल्हणदेवी के पुत्र सा. सारंग ने पुत्री श्री फली के श्रेयार्थ श्री धरणविहार-चतुर्मुखप्रासाद में पश्चिमप्रतोली के द्वार पर मुख्य देवकुलिका करवा कर उसकी प्रतिष्ठा तपा० श्री रत्नशेखरसरि के द्वारा करवाई।
सं० कीता
वि० सं० १५१६ वि० सं० १५१६ वैशाख कृ० १ को राणकपुरवासीप्रा०ज्ञा० सं० हीरा भार्या वामादेवी के पुत्र सं० कीता ने स्वस्त्री कल्याणदेवी, मटकुदेवी, भ्राता सं० राजा, नरसिंह तथा इनकी स्त्रियाँ गौरीदेवी, नायकदेवी, और पुत्र दूला आदि के सहित श्री मुनिसुव्रतप्रतिमा को श्री रत्नशेखरसूरि के करकमलों से प्रतिष्ठित करवाकर स्वविनिर्मित देवकुलिका में स्थापित करवाई।
सं० धर्मा
वि० सं० १५३६
, वि० सं० १५३६ मार्ग शु० ५ शुक्रवार को राणकपुरवासी प्रा०ज्ञा० सं० खेता भार्या खेतलदेवी के पुत्र मण्डन मार्या हीरादेवी के पुत्र धर्मराज ने स्वभार्या सरलादेवी पुत्र माला और माला की स्त्री रणदेवी आदि कुटुम्बियों के सहित जिनबिंब को प्रतिष्ठित करवाया।
श्रेष्ठि खेतसिंह और नायकसिंह
वि० सं० १६४७ अहमदाबाद के निकट में उसमापुर में प्रा०ज्ञा० ० रायमल रहता था। वह जगद्गुरु श्रीमद् विजयहीरसरि का भक्त था । वह अति धनाढ्य एवं प्रतिष्ठित पुरुष था। अं० रायमल के वरजदेवी और स्वरूपदेवी नामा दो
वि० सं०१५१६, १५३६ के वर्णनों से सिद्ध है कि राणकपुर में जैनियों के घर उस समय तक बस गये थे। ०वि०दि. भा०१ पृ०५६