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________________ खण्ड] :: तीर्थ एवं मन्दिरों में प्रा० ज्ञा० सद्गृहस्थों के देवकुलिका-प्रतिमाप्रतिष्ठादिकार्य-श्री अर्बुदगिरितीर्थ :: [३०३ सौरोड़ीग्रामवासी प्राग्वाटज्ञातीय व्य० पोदा के पुत्र मण्डन की स्त्री वजूदेवी के तीन पुत्र सजन, सिंहा, और रत्ना थे । सजन के फाँफू और वयजूदेवी नामा दो स्त्रियाँ थीं और दूदा नामा पुत्री थी। सिंहा की पत्नी अर्च के गांगा, चांदा और टीन्हा नामक तीन पुत्र थे। रत्ना की स्त्री राजलदेवी के भी सन्तान हुई थी। उसी दिन उपरोक्त समस्त कुटुम्बीजनादि मोटा परिवार युक्त व्य० सिंहा और रत्ना ने श्री तपागच्छीय सोमदेवसूरिजी के उपदेश से पंचतीर्थीमयपरिकरयुक्त श्वेत संगमरमरप्रस्तर का श्री आदिनाथ भ० का मोटा और मनोहर बिंब करवाया, जिसको तपागच्छनायक श्री सोमसुन्दरसूरिजी के पट्टधर श्री मुनिसुन्दरसूरिजी के पट्टधर श्री जयचन्द्रसूरिजी के पट्टधर श्री रत्नशेखरसूरिजी के पट्टधर श्रीलक्ष्मीसागरसूरिजी ने श्री सुधानन्दसूरि, श्री सोमजयसूरि, महोपाध्याय श्रीजिनसोमगणि प्रमुख परिवार से युक्त प्रतिष्ठित किया ।१ श्रेष्ठि सूदा और मदा वि० सं० १५३१ मालवदेशीय जवासियाग्रामवासी प्राग्वाटज्ञातीय जिनेश्वरदेव के परमभक्त ज्ञातिशृङ्गार शाह सरवण की पत्नी पद्मादेवी के मुंभच, सूदा, मदा और हांसा नामक चार पुत्र थे । ज्ये० पुत्र भूभच की पदू नामा स्त्री थी। द्वितीय पुत्र शाह सूदा की रमादेवी नामा धर्मपत्नी थी और उसके ताना, सहजा और पाल्हा नामक तीन पुत्र थे । तृतीय पुत्र मदा के नाई और जइतूदेवी नामा दो स्त्रियाँ थीं। चतुर्थ पुत्र हंसराज की धर्मपत्नी हंसादेवी नामा थी। श्री अर्बुदाचलस्थ भीमसिंहवसतिकाख्य श्री पित्तलहर-श्रादिनाथ-जिनालय के नवचतुष्क के बांयी पक्ष पर वि० सं० १५३१ ज्ये० शु० ३ गुरुवार को शाह सूदा और मदा ने अपने उपरोक्त समस्त कुटुम्ब सहित अपनी माता श्राविका पचीदेवी (पद्मादेवी) के श्रेय के लिये आलयस्था देवकुलिका करवाई और उसमें तपागच्छनायक श्री लक्ष्मीसागरसूरिजी के कर-कमलों से श्री सुमतिनाथ भ० की प्रतिमा को प्रतिष्ठित करवाई ।२ वंशवृक्ष शाह सरवण [पद्मादेवी] मुंमच (पदेवी] . बहा रमादेवी] मदा [१ नाई २ जइत्] हांसा [हांच] । ताना सहजा पान्हा सं० भड़ा और मेला वि० सं० १५३१ उपरोक्त मन्दिर के नव चतुष्क के दायें पक्ष पर उपरोक्त दिवस पर ही मालवदेशीय सीणराग्रामवासी प्राग्वाटज्ञातीय शाह गुणपाल की पत्नी रांऊ के संघवी लींबा, सं.भड़ा और सं. मेला नामक तीन पुत्र रत्नों में से सं.भड़ा और मेला अ० प्रा० ० ले० सं० भा०२ ले० ४१८, ४१६ । ४२८ । ४२६।
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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