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________________ as ] :: तीर्थ एवं मन्दिरों में प्रा०ज्ञा० सद्गृहस्थों के देवकुलिका - प्रतिमाप्रतिष्ठादिकार्य - श्री अबु दगिरितीर्थ :: [ २६६ महं० भाण वि० सं० १३६४ श्री विमलवसतिका नामक श्री आदिनाथ - जिनालय की इक्कीसवीं देवकुलिका में वि० सं० १३६४ ज्येष्ठ कृ० ५ शनिश्चर को प्राग्वाटज्ञातीय विमलान्वयीय ठ० अभयसिंह की स्त्री अहिवदेवी के पुत्र महं० जगसिंह, लखमसिंह, कुरसिंह में से ज्येष्ठ महं० जगसिंह की स्त्री जेतलदेवी के पुत्र महं० भाण ने कुटुम्बसहित श्री अंबिकादेवी की प्रतिमा को प्रतिष्ठित करवाया । १ श्रेष्ठि भीला वि० सं० १४७१ श्री विमलवसतिकाख्य श्री आदिनाथ - जिनालय में प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० लक्ष्मण की स्त्री रुद्रीदेवी के पुत्र व्य० भीला ने अपने पिता, माता तथा अपनी आत्मा के श्रेय के लिये वि० सं० १४७१ माघ शु० १३ बुधवार को श्रीब्रह्माणगच्छीय श्रीमद् उदयानंदसूरिजी के कर-कमलों से श्री भगवान् पार्श्वनाथ का विंव प्रतिष्ठित करवाया |२ श्रेष्ठ साल्हा वि० सं० १४८५ श्री विमलवसतिकाख्य श्री आदिनाथ - जिनालय में प्राग्वाटज्ञातीय व्य० श्रे० डूङ्गर की स्त्री उमादेवी के पुत्र व्य० साल्हा ने अपनी स्त्री माल्हणदेवी, पुत्र कीना, दीना आदि के सहित श्री तपागच्छीय श्रीमद् सोमसुन्दरसूरिजी के कर-कमलों से वि० सं० १४८५ में श्री सुपार्श्वनाथ मू० ना० वाला चतुर्विंशतिपट्ट प्रतिष्ठित करवाया । ३ मं० आल्हण और मं० मोल्हण वि० सं० १५२० श्री विमलवसतिकाख्य श्री आदिनाथ - जिनालय के गूढ़मण्डप में प्राग्वाटज्ञातीय सं० वरसिंह की स्त्री मंदोदरी के पुत्र मंत्री आल्हण और मंत्री मोल्हण ने अपने कनिष्ठ भ्राता मंत्री कीका और उसकी स्त्री भोली के कल्याणार्थ श्री पद्मप्रभबिंब को वि० सं० १५२० आषाढ़ शु० १ बुधवार को शुभ मुहूर्त में प्रतिष्ठित करवाया । ४ श्री अर्बुदगिरितीर्थस्थ श्री लूणसिंहवसहिकाख्य श्री नेमिनाथ - जिनालय में प्रा० ज्ञा० सद्गृहस्थों के देवकुलिका - प्रतिमाप्रतिष्ठादि-कार्य श्रेष्ठ महण श्री लूणवसतिकाख्य (लूणवसहि) श्री नेमिनाथ - जिनालय की देवकुलिका में प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० वीजड़ की५ श्र० प्रा० जै० ले० सं० भा० २ ले ० ६२' 'महं भाग' इस लेख से प्रतीत होता है विमलवसति के मूलनिर्माता महामात्य दंडनायक विमलशाह का वंशज है । श्र० प्रा० जै० ले० सं० भा २ ले० १७, १६,३६,४३१६५
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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