SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 475
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८२ ] :: प्राग्वाट - इतिहास : [ तृतीय सिरोही राज्यान्तर्गत वशंतगढ़ में श्री जैनमन्दिर के जीर्णोद्धारकर्त्ता श्रे० झगड़ा का पुत्र श्रेष्ठ मण्डन और श्रेष्ठ धनसिंह का पुत्र श्रेष्ठि भादा वि० सं० १५०७ वि० सं० १५०७ माघ शु० ११ बुधवार को महाराणा कुम्भकर्ण के विजयीराज्यकाल में वशंतपुर के चैत्यालय का उद्धारकराने वाले प्रा० ज्ञा० शाह झगड़ा (?) की स्त्री मेघादेवी के पुत्र मण्डन ने स्वस्त्री माणिकदेवी, पुत्र कान्हा, पौत्र जोगा आदि के सहित तथा प्रा० ज्ञा० व्य० धनसिंह की स्त्री लींबीदेवी के पुत्र व्य० भादा ने स्वस्त्री ल्हूदेवी, पुत्र जावड़, भोजराज आदि के सहित मूलनायक श्री शांतिनाथबिंब को तपा श्री सोमसुन्दरसूरि के पट्टालंकार श्री मुनिसुन्दरसूरि, श्रीजयचन्द्रसूरि के पट्टप्रभावक श्री रत्नशेखरसूरि के द्वारा महामहोत्सव करके प्रतिष्ठित करवाई । १ पत्तननिवासी प्राग्वाटज्ञातिशृङ्गार श्रेष्ठि सुश्रावक छाड़ाक और उसके प्रसिद्ध प्रपौत्र श्रेष्ठवर खीमसिंह और सहसा विक्रम की सौलहवीं शताब्दी विक्रम की पन्द्रहवीं शताब्दी में अणहिलपुरपत्तन में पुण्यशाली जिनेश्वरभक्त सुश्रावक छाड़ाक नामक श्रेष्ठि रहता था । उसके काबा(?) नामक एक सुयोग्य पुत्र था । श्रे० काबा की स्त्री का नाम कदूदेवी था । कदेवी के श्रे० छाड़ाक और उसके सादा और राजड़ नामक दो बुद्धिमान् पुत्र थे । श्रे० सादा की पत्नी ललितादेवी थी वंशज और उसके देवा नामक पुत्र था । श्रे० राजड़ की स्त्री का नाम गोमती था । श्रे० राजड़ के खीमसिंह और सहसा नामक महापुण्यशाली अति प्रभावक दो पुत्र उत्पन्न हुये । ० खीमसिंह का विवाह धनाई नामक कन्या से हुआ था । श्रा० धनाई के देता और नेता नामक पुत्र हुये । इनकी कनकाई और लालीदेवी नामा दोनों की क्रमशः पत्नियाँ थी । देता के तीन पुत्रियाँ पूरी, जसू, बासू और दो पुत्र सोनपाल और मपाल थे । नोता का पुत्र पुण्यपाल था । श्रे० सहसा का विवाह वारुमती नामा कन्या से हुआ था और उसके समधर, ईसर (ईश्वर) नामक दो पुत्र और मल्लाई नामा पुत्री थी । समधर का विवाह वड़धूदेवी और ईसर का विवाह जीविणी के साथ में हुआ था । समधर के हेमराज और ईसर के धरण नामक पुत्र थे । २ १- जै० ले० सं० भा० १ ले० ६५४ २ - जै० स० प्र० वर्ष ११ अंक १०-११ पृ० २७४ से २७७
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy