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________________ २७६ ] :: प्राग्वाट-इतिहास : [ तृतीय शोभा । जीता अनोपचन्द्र | टीकम तलसा मोती हीरा । । । । । हंसराज नन्दराम गौड़ीदास नवला रामचन्द्र कपूर तिलोकचंद्र रोड़ा | छगनलाल३ किस्तूरचन्द्र गंगाराम नत्थमल५ खीमराज६ माणकचन्द्र रत्नचन्द्र नवला । (मेदपाटान्तर्गत | । (मेदपाटान्तर्गत | | शोभाचन्द्र केलवाड़ा ग्राम हरकचन्द्र४ | | ग्राम गुड़ा में नथमल१ चन्दनमल२ (घाणेराव में रहते हैं) में रहते हैं) (मरुधर- रतनलाल ताराचन्द्र रहते थे) (घाणेराव में । देशांतर्गत । रहते हैं) । घाणेराव केसरीमल पुखराज मांगीलाल में रहते हैं) (घाणेराव में रहते हैं) (घाणेराव में रहते हैं) मालवपति की राजधानी मांडवगढ में सं० रत्नाशाह का परिवार सादड़ी छोड़ कर सं० धरणाशाह का परिवार पाणेराव में जा बसा और सं० रत्नाशाह का परिवार मालवप्रान्त की राजधानी मांडवगढ़ में बसा। मांडवगढ़ में मुहम्मद खिलजी ने वि० सं० १५२६ तक राज्य मालवपति के साथ सं० किया । उसके पश्चात् उसका पुत्र ग्यासुद्दीन शासक बना । ग्यासुद्दीन का राज्य वि० सं० रत्ना के परिवार का संबंध १५५६-५७ तक रहा। सं० सहसा अत्यन्त साहसी और वीर पुरुष था । सं० सहसा सं० कुवर(कुर)पाल के ज्येष्ठ पुत्र सं० रत्ना के पांचवें पुत्र सं० सालिग की ज्येष्ठ स्त्री सुहागदेवी का पुत्र था । इसकी सौतेली माता का नाम नायकदेवी थी । सं० सहसा के संसारदेवी और अनुपमादेवी नामकी दो स्त्रियाँ थीं । कुलगुरु साहब से मिल कर तथा वि० सं०१४२५ में लिखी गई प्रति के ऊपर से, जिसमें सं० धरणा का वृत्त और उसके वंशजों का वृत्त लिखा था, वंश-वृक्ष तयार किया है । उक्त प्रति में यह भी लिखा है कि सं० रत्ना का वंश मालवा में जाकर बस गया था। सं० रत्नाशाह का परिवार घाणेराव में नहीं बस कर अपने निकट संबंधियों एवं परिजनों को छोड़ कर इतना दूर मांडवगढ़ में क्यों जा बमा ? इसका कोई विशेष हेतु होना चाहिए। वि० सं०१४६६ में मेदपाट (मेवाड़) के ऊपर मालवपति मुहम्मद खिलजी ने बड़ा भारी सैन्य लेकर आक्रमण किया था। यवनसैन्य हारा और मुहम्मद खिलजी बंदी हुअा। महाराणा कुम्भकर्ण ने कुछ समय पश्चात् मुहम्मद खिलजी को मुक्त कर दिया । महाराणा की वीरता, उदारता, सौजन्य एवं हिन्दुवीरों का शत्रों के प्रति श्रादर-मान देख कर मुहम्मद खिलजी अत्यंत प्रसन्न हुआ। दोनों अधीश्वरों में फलतः शत्रता घटी और स्नेह-सम्बन्ध बढ़ा । एक दूसरे को एक-दूसरे के सामंत, वीरों और श्रीमंतों से परिचय हुआ। हो सकता हैं सं० रत्नाशाह का होनहार, बुद्धिमान् एवं सद्गुणी कनिष्ठ पुत्र सालिग मालवपति मुहम्मद खिलजी को अधिक पसंद पड़ा हो ।
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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