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खण्ड ] :: न्यायोपार्जित द्रव्य से मंदिरतीर्थादि में निर्माण-जीर्णोद्धार कराने वाले प्रा०मा० सद्गृहस्थ-संरना-धरणा :: [२७५
मेदपाटदेशान्तर्गत ग्राम गुड़ा में रहने वाले ६ स्व० शाह खींमराज रामाजी और केलवाड़ा ग्राम में रहने वाले ७ शाह किस्तूरचन्द्र नन्दरामजी सं० धरणाशाह के वंशज हैं। त्रैलोक्यदीपक-धरणविहार के ऊपर ध्वजा-दंड चढ़ाने का अधिकार उपरोक्त परिवारों को आज भी प्राप्त है। क्रम-क्रम से प्रत्येक परिवार प्रति वर्ष बिंबस्थापना दिवस फा० क. १० के दिन (राजस्थानी चैत्र कृ. १०) ध्वजा चढ़ाता है और प्रथम पूजा भी इनकी ही ओर से करवाई जाती है ।
वंशवृक्ष सं० धरणा (धर्मा) [१धारलदेवी रचन्द्रादेवी]
जाखा
जावड़ [जसमादेवी]
गुणराज [गुणादेवी]
वनाजी [वजू देवी]
वीरम [वीरमति]
प्राशपाल
पाल
गुणपाल
गमनाजी
तलाजी कानाजी [कौड़मदेवी] गंगाजी
रूपा [स्वरूपदेवी] पद्मा
। धना
हरचन्द्र
राजा
खेता
चांपा
माना
डाहाजी
ऊदा
डुङ्गा
मना
पुरमल
मरुधरदेशान्तर्गत बाली एक प्राचीन नगर है। वहाँ के कुलगुरु भट्टारक मियाचन्द्रजी अच्छे वैद्य है । वे ही सं० धरणाशाह के वंशजों के कुलगुरु है। ता०३१-३-१६५२ को मैं श्री छगनलाल हंसराज जी की प्रेरणा एवं निमंत्रण पर बाली गया था और उक्त